पेट्रोल डीजल से चलने वाले कारो से होने वाले प्रदूषण जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है । और यह कई बीमारियों को भी जन्म देता है । पर दुनिया में एक ऐसा देश जिसने अपने बिकने वाली कुल कारों में 50 परसेंट इलेक्ट्रिक कार को बेचा है यह देश नॉर्वे है ।यह विश्व का पहला देश बन गया है। जिसने कूल बिकने वाली कारों में 54 परसेंट इलेक्ट्रिक कारें बेची है। नॉर्वे देश पहले से ही एक वर्ल्ड लीडर के तौर पर था जिसने प्रदूषण को कम करने के लिए कई उपाय किए थे। अब एक और रिन्यूएबल टेक्नोलॉजी को जोड़ कर उसने अपनी वर्ल्ड पोजीशन प्रथम कर ली है । नॉर्वे देश ने अपनी कार बिक्री 50 परसेंट में बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल कारें बेची है । इस तरह अपनी पहली पोजीशन को बरकरार रख नॉर्वे जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई तरह के कदम उठाते आया ।है 2019 में भी 42 परसेंट हिस्सा इलेक्ट्रिक कार बिक्री का ही था लेकिन 2020 में यह आंकड़ा 54% तक पहुंच गया ।जबकि 10 साल पहले नॉर्वे देश के मार्केट बाजार में सिर्फ 1% बैटरी इलेक्ट्रिक कारें होती थी ।और 2020 में 83 परसेंट हाइब्रिड व्हीकल आए हैं हाइब्रिड व्हीकल उन्हें कहा जाता है ।जो बैटरी से और पेट्रोल/ डीजल से भी चल सकती है । जबकि 2015 में 71 परसेंट बाजार पेट्रोल /डीजल कारों का हुआ करता था । जो अब घटकर 17% रह गया है । नॉर्वे में जर्मनी की वॉक्सवैगन कंपनी ने यूएस की कंपनी टेस्ला (जो लार्जेस्ट इलेक्ट्रिक व्हीकल प्रोड्यूसर कंपनी है) को हटाकर नंबर वन पर पहुंच गई है।
नॉर्वे के बाजार में इलेक्ट्रिक कारों का माहौल कैसे आया?
पश्चिमी यूरोप में सबसे ज्यादा कच्चा तेल नॉर्वे के द्वारा ही प्रोड्यूस किया जाता है । लेकिन यह छोटा सा देश जो करीब महाराष्ट्र राज्य के लगभग बराबर ही माना जाता है । पर नॉर्वे देश ने 1990 दशक में ही यह सोच बना ली थी कि हमें इलेक्ट्रिक कारों को बढ़ावा देना है पहले से ही फॉसिल फ्यूल्स से रिन्यूएबल एनर्जी की तरफ आते रहे हैं । हालांकि नॉर्वे देश कच्चा तेल बहुत प्रोड्यूस करते ।हैं लेकिन वह कभी भी ज्यादा इस्तेमाल खुद के देश में नहीं करते । वे सभी कच्चा तेल को निर्यात कर दिया जाता है। 2017 में नॉर्वे की पार्लियामेंट ने तय कर लिया था । कि 2025 तक जितने भी कारें बेची जाएगी वह सभी जीरो एमिशन कारें होगी। अर्थात 2025 के बाद नॉर्वे में पेट्रोल और डीजल से चलने वाली कोई भी कारें नहीं बेची जाएगी।
जबकि ब्रिटेन और जर्मनी में यह टारगेट 2030 तक है और फ्रांस में 2040 तक।और भारत में यह टारगेट 2030 तक कुल कारों में 30 परसेंट बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल की होगी।