MPPSC IMP Questions
नमस्कार दोस्तों SRD news आज आपके लिए मध्य प्रदेश राज्य सेवा मुख्य परीक्षा हेतु MPPSC imp questions लेके आया है , कृपया इन imp gk प्रश्नों को ध्यान से पड़े good luck SRD news
सभा तथा समिति क्या थी ?
- सभा तथा समिति यह दोनों संस्थाएं ऋग्वेदिक कालीन शासन का लोकतंत्रीय विभाग थी, जिनका ऋग्वेदिक कालीन शासन व्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान था .
- इस प्रकार ये राजा को सलाह देने वाली संस्थाएं थी.सभा श्रेष्ठ एवं संभ्रांत लोगों की संस्था थी, जबकि समिति सामान्य जनता का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था थी.
- इसके अध्यक्ष को “ ईशान ” कहा जाता था. वैदिक साहित्य में सभा 1 ग्रामसंस्था के रूप में और समिति एक राजनीतिक संस्था के रूप में उल्लेखित है .
- अथर्ववेद में सभा और समिति को प्रजापति की दो पुत्रियां कहा गया है. सभा और समिति में स्त्रियां भी भाग ले सकती थी.
सैंडलर आयोग क्या है ?
सैंडलर आयोग का गठन 1917 ईस्वी में कोलकाता विश्वविद्यालय की समस्याओं के अध्ययन के लिए डॉक्टर एम ई सैंडलर के नेतृत्व में किया गया था.
इसमें डॉ आशुतोष मुखर्जी एवं डॉक्टर जियाउद्दीन अहमद दो भारतीय सदस्य थे. इस आयोग ने कोलकाता विश्वविद्यालय के साथ-साथ माध्यमिक व स्नातकोत्तर शिक्षा पर भी अपना मत दिया.
आयोग ने सुझाव दिया कि इंटरमीडिएट कक्षाएं विश्वविद्यालय से पृथक हो तथा इसकी परीक्षाओं के संचालन के लिए एक माध्यमिक बोर्ड का गठन किया जाए .
कोलकाता विश्वविद्यालय को भारत सरकार के नियंत्रण से मुक्त कर बंगाल सरकार के अधीन किया जाए तथा स्नातक स्तर पर 3 वर्षीय पाठ्यक्रम हो.
पांचाल और अवंती क्या थे ?
पांचाल तथा अवंती छठी शताब्दी ईसा पूर्व में विकसित 16 महाजनपदों में से दो प्रमुख जनपद थे. पांचाल यह हिमालय की तराई से चंबल नदी तक फैला हुआ था जिसमें बदायूं, फर्रुखाबाद तथा उत्तर प्रदेश के कुछ जिले आते थे. महाभारत काल में वह दो भागों में विभाजित हो गए
उत्तरी पांचाल
- उत्तरी पांचाल – जिसकी राजधानी अहिछत्र थी तथा
- दक्षिणी पांचाल – जिसकी राजधानी कंपिल थी.
- अवंती – इसमें आधुनिक मालवा और उसके निकट के मध्य प्रदेश के कुछ भाग सम्मिलित थे. इसकी दो राजधानियां थी उत्तरी भाग की उज्जैनी तथा दक्षिणी भाग की महिष्मति.यहां का शासक चंड प्रद्योत महासेन था जो बुद्ध का समकालीन एक शक्तिशाली शासन था.
जातक क्या होता है ?
सुत्त पिटक के पांचवे भाग के खुदक निकाय में बुद्ध के जन्म की कई कथा संग्रहित है. इन्हीं कथाओं के संग्रह को जातक ग्रंथ कहते हैं.जातकों का बोध साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है. ऐसा माना जाता है कि बुद्धत्व प्राप्त करने से पूर्व बुद्ध के अनेकानेक जन्म हो चुके थे और जातकों की अनेक कथाओं का संबंध बुध के इन पूर्वजन्मो से ही है. तत्कालीन धार्मिक, सामाजिक तथा आर्थिक जीवन का इन गाथाओं में उत्तम चित्रण है. अतः इसका ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक महत्व अधिक है. बुद्ध के पूर्व जन्म की लगभग 500 कथाएं हैं जो इसमें वर्णित है