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Makar Sankranti 2023: क्यों जरुरी है ? स्नान-दान | क्या है ? शुभ मुहूर्त और महत्व

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 हमारे हिन्दू धर्म की पहचान यहाँ के त्योहारों व यहाँ की मान्यताओ से की जाती है जैसे की सभी जानते है भारत अनेक धर व जातियों का देश मन जाता है जिसमे से एक मुख्य है हिन्दू ,भारत में हिन्दू राज्य को ज्यदा मान्यता दी जाती है और इसी प्रकार यहाँ हिन्दुओ को कई त्यौहार मनाए जाते है 

  यहाँ प्रतेक त्यौहार अलग – अलग  भगवन के लिए खास रूप से उन्हें यद् क्र मनाए जाते है जैसे – दिवाली ( भगवन राम ) कहते है जव भगवन राम 14 वर्ष का वनवास कट क्र अयोध्या उनकी नगरी ( उनके घर ) बापस ऐ थे तब खुशी के रूप में यह बनाया गया था होली ( भगवन कृष्ण ) का त्यौहार है इसे पहलाद के जीवित होने की ख़ुशी में बनाया जाता है ऐसेही मकर संक्रान्ति है जिस दिन ( भगवन सूर्य ) देव की उपासना की जाती है 

शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते है और उस दिन से सूर्य उत्तरायण  हो जाते है या यु कहा जाए की धीरे धीरे उत्तर की और आने लगते है व इसी दिन से , जिससे खरमास खत्म हो जाएगा

मकरसंक्रांति स्नान 

पुराणिकमान्यताओ के अनुसार मकरसंक्रांति के दिन गंगा स्नान का अत्यधिक महत्बमन जाता है कहते हें की इस दिन गंगा जी में स्नान करने से सरे पाप धुल जाते है और मोक्छ की प्राप्ति होती है इस दिन गंगा स्नान जरुर करना ची कुछ लोग सोचते है की ठण्ड के कारन गंगा स्नान नही करते है 

मकरसंक्रांति में तिल क्यों जरुरी है –

 पुराणोंके अनुसार जब हिर्नाकास्यप पहलाद को अति प्रतारित क्र रहा था तब अति क्रोध के कारन भगवन विष्णु का पसीना निकले लगा था जिसकी बुँदे धरती पर गिरी और उन बूंदों से ही तिल की उत्तपति हुई यह मान्यता है की तिल के स्पर्श से मोक्छ की प्राप्ति होती है तभी इसका उपयोग तर्पण , पिंड व पितरो में भी किया जाता है मकरसंक्रांति के दिन तिल से स्नान व दान करने से मोक्छ व बैकुंठ की प्राप्ति होती है 

पुराणों में हमे एक कथा मिलती है जिस के अनुसार माँ गंगा मकरसंक्रांति के दिन ही धरती में ई थी भागीरथी की अनेक वर्षो की तपस्या के फल स्वरूप माँ गंगा से धरती ने आने का आग्रह किया जिसके फल स्वरूप माँ गंगा धरती में आने लगी पर उनकी धराओ का बैग ज्यदा होने के करन भगवन शिव ने उन्हें अपनी जातो पर धारण किया उसके बाद माँ गंगा धीरे – धीरे धरती पर उतर गीइ और राजा भगीरथ मां गंगा को लेकर कपिल मुनि के आश्रम आए, जहां पर माँ गंगा ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया था जिसके बाद इसी दिन से मकरसंक्रांति मने जाती है व इस दिन गंगा स्नान का अत्यंत शुभ व मोक्छ दाय स्नान माना जाता है 

 

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