RGPV : घटते एडमिशन के साथ कैसे संचालित हो पाएगा प्रदेश का एकलौता तकनीकी विश्वविद्यालय आरजीपीवी

RGPV : विगत 5 वर्षों से यह देखने को मिल रहा है कि इंजीनियरिंग कोर्स में प्रवेश लेने के इच्छुक छात्रों की संख्या निरन्तर प्रतिवर्ष घटती चली जा रही है। इसके पीछे आखिर कौन से कारण हैं, आज हम उन्हीं का विश्लेषण अपने इस आर्टिकल में करने जा रहे हैं।

1. छात्रों एवं उनके गार्डियन से बात करने पर जो कारण सर्वप्रथम हमारे सामने आया कि इंजीनियरिंग कोर्स पूर्ण करने के बाद जॉब ना मिल पाने की समस्या।

विश्लेषण : नैसकॉम द्वारा आयोजित किए गए सर्वे के अनुसार 64% जॉब इस कारण से भरे नहीं जा पा रहे हैं क्योंकि इंजीनियरिंग कोर्स पूर्ण कर चुके छात्र इस काबिल ही नहीं हैं कि वह उस जॉब का सफलतापूर्वक निर्वहन कर सकें । आरजीपीवी द्वारा बनाए गए करिकुलम के अनुसार छात्रों को नॉलेज देने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है ना कि उनके अंदर कौशल का विकास करने पर। यह सबसे बड़ी वजह है कि म.प्र. के इंजीनियरिंग छात्रों को इंडस्ट्री एवं कॉरपोरेट जगत की जॉब प्रोफाइल के मुताबिक खुद को डालने में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

2. घटती प्रवेश संख्या से विश्वविद्यालय में उत्पन्न होने लगा वित्तीय संकट।

विश्लेषण: आरजीपीवी एक स्ववित्तीय संस्था है इसलिए प्रवेशित छात्रों से प्राप्त होने वाला शुल्क एक बहुत बड़ा वित्तीय डिसाइडिंग फैक्टर है, जिसपर कि विश्वविद्यालय का इंफ्रास्ट्रक्चरल विकास और इसमें अध्ययनरत छात्रों का भविष्य दोनों ही पूर्णतः निर्भर करता है।

अब यह तो समय ही बताएगा कि आरजीपीवी भोपाल तकनीकी विश्वविद्यालय कैसे इस समस्या से खुद को उभार पाता है।

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