Friday, June 9, 2023

G.k special:-देखना यह है। कि जीवन किसके निमित्त व्यतीत हो रहा है।।

Must Read

 

*जीवन तो हर एक का बीत रहा है, समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता देखना यह है। कि जीवन किसके निमित्त व्यतीत हो रहा है।। अर्जुन ने भी मित्र सम्बन्धियों का मोह त्याग भगवान श्री कृष्ण जी के निमित्त जीवन व्यतीत किया, तब ही तो बल, नाम और प्रभु-कृपा को प्राप्त किया।। जब तक तुम्हारा मान अपमान के कारण सुखी-दुःखी होता है तब तक स्वयं को सच्चा सेवक न समझो। सच्चे सेवक की वृत्ति स्वामी में तल्लीन होती है, उसे मान-अपमान का पता नहीं लगता।। बहिर्मुखी व्यक्ति एक घण्टे में जितनी व्यर्थ बातें करता है। अन्तर्मुखी वृति वाला मनुष्य उतनी एक वर्ष में भी नहीं करता जैसे मकड़ी तारों का जाल बुनकर उसमें फँसती है।। वैसे बहिर्मुखी वृत्ति वाला व्यक्ति बातों के जाल में ऐसे फँसता है। कि छूटना ही कठिन हो जाता है।। इसलिए जिसे बन्धन से मुक्त होने की अभिलाषा है। उसे बाह्य बातों से बचना चाहिये।। तुम परमार्थ करो पर स्वार्थ न करो, क्योंकि परमार्थ तुम्हें ऊँचा उठायेगा और स्वार्थ तुम्हें नीचे गिरा देगा। सेवक को आलस्य छोड़कर सेवा के लिए हर समय तत्पर रहना चाहिए, तब वह गुरु-कृपा और प्रसन्नता का पात्र बन सकता है।।*

🌺🙏🌺जय श्री राधे🌺🙏🌺

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -
Latest News

World Tb Day : निश्चय मित्र योजना के अंतर्गत किया गया फूड बास्केट का वितरण

World Tb Day : माननीय MD NHM,राज्य छय अधिकारी,कलेक्टर महोदय सिवनी ,मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी डा.राजेश श्रीवास्तव के...
- Advertisement -

More Articles Like This

- Advertisement -
%d bloggers like this: