चुनाव आयोग ने आज 253 पंजीकृत परन्तु गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों-आरयूपीपी को निष्क्रिय घोषित करते हुए उन्हें चुनाव चिह्न आदेश, 1968 का लाभ लेने से प्रतिबंधित कर दिया है। निर्वाचन आयोग ने कहा है कि 86 अन्य अस्तित्व-हीन राजनीतिक दलों को सूची से हटा दिया जाएगा और चुनाव चिह्न आदेश का कोई लाभ उन्हें नहीं मिलेगा। आयोग के अनुसार नियमों की अवहेलना करने वाले इन सभी 339 दलों के खिलाफ कार्रवाई होगी। 25 मई 2022 से अब तक ऐसे दलों की संख्या 537 हो गई है।
चुनाव आयोग ने इस साल मई में 87 और जून में 111 ऐसे दलों को सूची से बाहर किया था।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत प्रत्येक राजनीतिक दल को अपने नाम, प्रधान कार्यालय, पदाधिकारियों, पते और पैन नम्बर में बदलाव के बारे में आयोग को तत्काल सूचित करना होता है। संबंधित राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों द्वारा किए गए सत्यापन के बाद या पंजीकृत पते पर डाक से भेजे गए पत्रों या नोटिसों की रिपोर्ट के आधार पर 86 राजनीतिक दल मौजूद नहीं पाए गए।
सात राज्यों बिहार, दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारियों से प्राप्त रिपोर्टों के आधार पर यह निर्णय लिया गया है। इन 253 राजनीतिक दलों को निरस्त घोषित कर दिया गया है, क्योंकि उन्होंने किसी पत्र या नोटिस का जवाब नहीं दिया है और न ही किसी राज्य के विधानसभा चुनावों या 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में हिस्सा लिया है। ये पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल 2015 से अब तक सोलह से अधिक अनुपालन चरणों के लिए वैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करने में नाकाम रहे और इनके द्वारा नियमों का उल्लंघन अब भी जारी है।