🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक 18 अप्रैल 2021*
⛅ *दिन – रविवार*
⛅ *विक्रम संवत – 2078 (गुजरात – 2077)*
⛅ *शक संवत – 1943*
⛅ *अयन – उत्तरायण*
⛅ *ऋतु – वसंत*
⛅ *मास – चैत्र*
⛅ *पक्ष – शुक्ल*
⛅ *तिथि – षष्ठी रात्रि 10:34 तक तत्पश्चात सप्तमी*
⛅ *नक्षत्र – आर्द्रा 19 अप्रैल प्रातः 05:02 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
⛅ *योग – अतिगण्ड शाम 07:56 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
⛅ *राहुकाल – शाम 05:24 से शाम 06:59 तक*
⛅ *सूर्योदय – 06:19*
⛅ *सूर्यास्त – 18:57*
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🌷 *चैत्र नवरात्रि* 🌷
🙏🏻 *भय का नाश करती हैं मां कात्यायनी*
*नवरात्रि के षष्ठी तिथि पर आदिशक्ति दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करने का विधान है। महर्षि कात्यायनी की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं। नवरात्रि के छठे दिन इनकी पूजा और आराधना होती है। माता कात्यायनी की उपासना से आज्ञा चक्र जाग्रृति की सिद्धियां साधक को स्वयंमेव प्राप्त हो जाती हैं। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौलिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है तथा उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं।*🅿
🌷 *चैत्र नवरात्रि* 🌷
🙏🏻 *नवरात्र की षष्ठी तिथि यानी छठे दिन माता दुर्गा को शहद का भोग लगाएं ।इससे धन लाभ होने के योग बनने हैं ।*
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*_भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।_*
🌠 *_रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।_*
*_इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।_*
*_रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन जी के दर्शन अवश्य करें ।_*
*_रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।_*
📝 *_तिथि स्वामीः- षष्ठी तिथि के स्वामी भगवान कार्तिकेय जी हैं तथा सप्तमी तिथि के स्वामी भगवान सूर्यदेव हैं।_*
🪙 *_नक्षत्र स्वामीः- आर्द्रा नक्षत्र के स्वामी राहु देव हैं तदोपरान्त पुनर्वसु नक्षत्र के स्वामी गुरु देव जी है।_*
⚜️ *_दिशाशूल – रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो पान एवं घी खाकर यात्रा कर सकते है।_*
🚓 *_यात्रा शकुन- इलायची खाकर यात्रा प्रारंभ करें।_*
👉🏼 *_आज का मंत्र-ॐ घृणि: सूर्याय नम:।_*
🤷🏻♀️ *_आज का उपाय-किसी विप्र को मसूर की दाल दान करें।_*
🌴 *_वनस्पति तंत्र उपाय-बेल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।_*
⚛️ *_पर्व व त्यौहार- स्कंद षष्ठी, रामानुज जयंती_*
✍🏼 *_विशेष – मित्रों, षष्ठी तिथि को तैल कर्म अर्थात शरीर में तेल मालिश करना या करवाना एवं सप्तमी तिथि को आँवला खाना तथा दान करना भी वर्ज्य बताया गया है। षष्ठी तिथि के स्वामी भगवान शिव के पुत्र स्वामी कार्तिकेय हैं तथा नन्दा नाम से विख्यात यह तिथि शुक्ल एवं कृष्ण दोनों पक्षों में मध्यम फलदायीनी मानी जाती है। इस तिथि में स्वामी कार्तिकेय जी के पूजन से सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। विशेषकर वीरता, सम्पन्नता, शक्ति, यश और प्रतिष्ठा कि अकल्पनीय वृद्धि होती है।_*🅿
*🚩Today’s Tips🚩*
*_वास्तु शास्त्र में आज जानिए देवों के अष्टगंध और उन्हें लगाने की उँगलियों की। ध्यान रहे कि अष्टगंध ख़ास किस्म के केमिकल हैं और लगाये जाने पर एक ख़ास एटिड्यूड जनरेट करते हैं जो हमारे विचारों बायोक्लॉक और घर की कलेक्टिव क्लॉक यानि वास्तु को प्रभावित करते हैं।_*
*_हाथों की उँगलियों में कौन सी शक्ति हमारे पुरखों ने पहचानी थी उसका वर्तमान रूप रेकी, औरा और प्राणिक होलिंग के तौर पर समझा जा सकता है।_*
*_देवी गंधाष्टक- चन्दन, अगर, कपूर, ग्रंथिपर्ण केसर, गोरोचन, जटामासी और लोहबान। साथ ही यह भी कि अनामिका उंगली से देवों और ऋषियों को, तर्जनी से पितरों को और स्वयं मध्यमा ऊँगली से गंधानुलेवन करना चाहिए।_*
⚜️ *_आज रविवार को सुबह भगवान सूर्य को ताम्बे के एक लोटे में लाल चन्दन, गुड़ और लाल फुल मिलाकर अर्घ्य इस मन्त्र से प्रदान करें। अथ मन्त्रः- एही सूर्य सहस्रांशो तेजो राशे जगत्पते। अनुकम्प्य मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर।। अथवा गायत्री मन्त्र से भी सूर्यार्घ्य दे सकते हैं।_*
*_इसके बाद आदित्यह्रदयस्तोत्रम् का पाठ करना चाहिये। भोजन में मीठा भोजन करना चाहिये नमक का परित्याग करना अत्यन्त श्रेयस्कर होता है। इस प्रकार से किया गया रविवार का पूजन आपको समाज में सर्वोच्च प्रतिष्ठा एवं अतुलनीय धन प्रदान करता है। क्योंकि सूर्य धन और प्रतिष्ठा का कारक ग्रह है।_*
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*सदगुणो की शुरुआत*
*स्वयं से ही करनी होती है..*
*जब तक खुद की उंगली पर*
*कुमकुम नहीं लगेगा..*
*तब तक दूसरे के*
*ललाट पर तिलक कैसे लगाओगे….?*
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