भोपाल । शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में करीब डेढ़ लाख कुत्ते आतंक मचाए हुए हैं। आंतक भी ऐसा कि कुत्तों ने कई मासूमों को न सिर्फ बुरी तरह घायल किया, बल्कि कुछ को तो मौत के घाट भी उतारा। इन घटनाओं के लिए सीधे तौर पर नगर निगम प्रशासन जिम्मेदार है। इसका कारण आवारा कुत्तों की नसबंदी आंकड़ों में ही दुरुस्त होना है, जबकि शहर में इनकी संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
निगम प्रशासन ने कुत्तों की नसबंदी की शुरुआत वर्ष 2014 में की थी। तब निगम के आंकड़ों में इनकी संख्या 25 हजार थी। इसके बाद साल-दर-साल नसबंदी प्रक्रिया भी चली। अब तो इस काम में सालाना डेढ़ करोड़ रुपये तक खर्च किए जा रहे हैं और नसबंदी में इजाफा हुआ है, फिर भी शहर में कुत्तों की संख्या बढ़कर डेढ़ लाख तक पहुंच गई है। ऐसे में निगम प्रशासन की नसबंदी प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है।
बताया जा रहा है कि तत्कालीन नगर निगम आयुक्त बी. विजय दत्ता ने अवधपुरी में हुई एक घटना के बाद जिला प्रशासन के साथ संयुक्त सर्वे करवाया था, जिसमें डेढ़ लाख से अधिक संख्या पाई गई थी। मामले में तत्कालीन संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव बैठक कर इस पर आपत्ति भी ली थी। फिर भी इस मामले में कोई पहल नहीं हुई।
कागजों के भरोसे मॉनीटरिंग
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नगर निगम के अधिकारियों का दावा है कि कुत्तों की नसबंदी को लेकर मॉनीटरिंग की जाती है। हालांकि यह मॉनीटरिंग कैसे होती है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नसबंदी के लिए काम करने वाले एनजीओ जो आंकड़े निगम प्रशासन को देते हैं उन्हें सही मान लिया जाता है। खास बात ये है कि इन आंकड़ों का सत्यापन भी कागजों में ही हो जाता है।
रोजोना 50 से अधिक होती है शिकायतें
शहर में कुत्तों के आतंक का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रोजाना 50 से अधिक शिकायतें नगर निगम में दर्ज कराई जाती हैं। जब तक वीआईपी या रसूखदारों की शिकायतें न हों, इन्हें गंभीरता से नहीं लिया जाता। कमाल तो यह कि कार्रवाई करने वाले कर्मचारी शिकायतकर्ताओं से ही कुत्तों की मौजूदगी को लेकर सवाल पूछने लग जाते हैं। कोहेफिजा निवासी सैयद रफी हसन बताते हैं कि जब-जब शिकायतें दर्ज कराई गईं, तब-तब निगम अमले ने कुत्तों का पता उन्हीं से ही पूछा।
छह साल की मासूम की मौत के बाद हुआ था निर्णय, जो अब तक हैं अधूरे
पिछले साल मई में अवधपुरी क्षेत्र में आवारा कुत्तों ने छह साल के बच्चे को मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद जिला व नगर निगम प्रशासन हरकत में आया। बैठकों के दौर के बाद मॉनीटरिंग की व्यवस्था में सुधार, डॉक्टरों द्वारा की जाने वाली नसबंदी, कामों पर नजर रखने के लिए डॉक्टर एंट्री सिस्टम, डॉग एंट्री सिस्टम व डॉग टोकन सिस्टम को विकसित करने का निर्णय लिया गया। साथ ही कुत्तों की धड़पकड़ के लिए जमीनी अमले को बढ़ाने की बात कही थी, जो अब तक पूरा नहीं हुआ है।
कोहेफिजा में फिर दो लोगों को काटा

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मंगलवार रात कोहेफिजा स्थित हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में कुत्तों ने एक मासूम बच्ची को अपना शिकार बनाया था। सूचना के बाद गुरुवार शाम को कुत्ते की धरकपड़ के लिए नगर निगम की टीम मौके पर पहुंची थी। इससे पहले ही दो युवक मो. यासीन और कादिर खान को कुत्तों ने अपना शिकार बना लिया। दोनों ही युवक कोहेफिजा की बीडीए कॉलोनी से गुजर रहे थे। तभी कुत्तों के झुंड ने दोनों पर हमला कर दिया। रहवासियों का कहना है कि क्षेत्र में कई कुत्ते पागल हो चुके हैं। इस कारण लगातार घटनाएं हो रही हैं। इस मामले में नगर निगम आयुक्त वीएस चौधरी कोलसानी ने सिर्फ इतना कहा कि आवारा कुत्तों की शिकायतों का निराकरण किया जा रहा है। इसको लेकर अफसरों के साथ चर्चा कर रहे हैं। अब प्लानिंग के साथ बेहतर काम किया जाएगा।
कुत्तों का आतंकः तीन दिन में कोहेफिजा क्षेत्र में दो लोगों को कुत्तों ने बनाया शिकार
- सालाना खर्च होते हैं डेढ़ करोड़ रुपये, नगर निगम की नसबंदी प्रक्रिया पर उठे सवाल
- लगातार हो रही शिकायतों व घटनाओं के बाद भी निगम के अफसर बेफिकर
साल-दर-साल कुत्तों की नसबंदी का आंकड़ा
वर्ष — नसबंदी
2018-19 — 18500
2017-18 — 9040
2016-17 — 20258
2015-16 — 22510
2014-15 — 18479
2013-14 — 4515