jyotirmath sankaracharya list in hindi : ज्योतिष्पीठ की शङ्कराचार्य परम्परा 21 आचार्य चिरजीवी हैं और इनका प्रातः स्मरण करने से योग सिद्धि होती है, ऐसी मान्यता है, बद्रीनाथ क्षेत्र में इन आचायों से सम्बन्धित निम्न श्लोक आज भी नित्य पढ़े जाते हैं. आइये जानते है ( jyotir math shankaracharya ) विस्तार से
तोटको विजयः कृष्णः कुमारो गरुडः शुकः ।
विन्ध्यो विशालो वकुलो वामनः सुन्दरोऽरुणः ॥
श्रीनिवासः सुखानन्दो विद्यानन्दः शिवो गिरिः ।
विद्याधरो गुणानन्दो नारायण उमापतिः ॥
एते ज्योतिर्मठाधीशाः आचार्याश्चिरजीविनः ।
य एतान् संस्मरेन्नित्यं योगसिद्धिं स विन्दति ॥
jyotirmath sankaracharya list in hindi
jyotirmath in hindi : इन 21 चिरनजीवी आचार्यों के पश्चात विक्रम संवत् 1500 (ई. सन् 1443) से ज्योतिष्पीठ के शङ्कराचार्यों का क्रम (jyotirmath shankaracharya list ) निम्नानुसार प्राप्त होता है।
1. श्री तोटकाचार्य जी
2. श्री विजयाचार्य जी
3. श्री कृष्णाचार्य जी
4. श्री कुमाराचार्य जी
5. श्री गरुड़ाचार्य जी
6. श्री शुकाचार्य जी
7. श्री विन्ध्याचार्य जी
8. श्री विशालाचार्य जी
9. श्री बकुलाचार्य जी
10. श्री वामनाचार्य जी
11. श्री सुन्दराचार्य जी
12. श्री अरुणाचार्य जी
13. श्री निवासाचार्य जी
14. श्री आनन्दाचार्य (सुखानन्द) जी
15. श्रीविद्यानन्दाचार्य जी
16. श्री शिवाचार्य जी
17. श्री गिर्याचार्य जी
18. श्री विद्याधराचार्य जी
19. श्री गुणानन्दाचार्य जी
20. श्री नारायणाचार्य जी
21. श्री उमापत्याचार्य जी
21 चिरनजीवी आचार्यो के नामो का नित्य पाठ करना चाहिए
22. श्री बालकृष्ण स्वामी जी
23. श्री हरिब्रम्ह स्वामी जी
24. श्री हरिस्मरण जी
25. श्री वृन्दावन स्वामी जी
26. श्री अनन्त नारायण जी
27. श्री भवानन्द जी
28. श्री कृष्णानन्द सरस्वती जी
29. श्री हरिनारायण जी
30. श्री ब्रह्मानन्द जी
31. श्री देवानन्द जी
32. श्री रघुनाथ जी
33.श्री पूर्णदेव जी
34. श्री कृष्णदेव जी
35. श्री शिवानन्द जी
36. श्री बालकृष्ण जी
37. श्री नारायणउपेन्द्र जी
38. श्री हरिश्चन्द्र जी
39. श्री सदानन्द जी
40. श्री केशवानन्द जी
41. श्री नारायण तीर्थ जी
42. श्री रामकृष्ण तीर्थ जी
(इसके बाद 165 वर्षों तक ज्योतिष्पीठ आचार्यो से रिक्त रही किन्तु आचार्य गुजरात के धौलका नामक स्थान से पीठ की परम्परा अविच्छिन्न रखी। सन् 1982 में पूज्य महाराजश्री का धौलकापीठ पर अभिषेक किया गया ।)
43. श्री ब्रह्मानन्द सरस्वती जी
44. श्री कृष्णबोधाश्रम जी
45.श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी
46 श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी
संवत् 1833 से 1998 तदनुसार ई. सन् 1776 तक के 165 वर्षों तक ज्योतिष्पीठ आचायों से विहीन रहा , वहां आचार्य के न होने पर रावलों ने बदरीनाथ मन्दिर का दायित्व संभाला । ज्योतिष्पीठ की शङ्कराचार्य परम्परा भी एक प्रकार से अविछिन्न रही। इस पीठ के 42वे आचार्य श्री रामकृष्णानन्द जी के पश्चात श्रीटोकरानन्द के समय अपरिहार्य कारणों से इस पीठ के उत्तरदायित्वों का निर्वहन आचार्यों ने गुजरात के अहमदाबाद के निकट धौलका नामक स्थान में किया। यह स्थान धौलका पीठ के नाम से जाना जाता है। धौलकापीठ से ज्योतिषपीठ की शंकराचार्य परम्परा का निर्वहन करने वाले आचायों के नाम इस प्रकार है
1. श्री टोकरानन्द 2. श्री पुरुषोत्तमानन्द 3. श्री कैलाशानन्द 4 श्री विश्वशरानंद 5. श्री अच्युतानन्द
6. श्री राजराजेश्वरानन्द 7. श्री मधुसूदनानन्द 8श्री विजयानन्द (अद्वैतानन्द)
इसके पश्चात् पूज्य गुरुदेव का अभिषेक धोलका में संचालित ज्योतिष्पीठ की अवान्तर धारा के मठ पर भी कर दिया गया और पूज्य महाराजश्री इस तरह ज्योतिष्पीठाचार्य परम्परा को पुनः एकीकृत और समग्र बनाने वाले आचार्य हो गए। पूज्य महाराजश्री के संचालन में पीठ अपनी पुरातन प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त कर चुका है।
165 वर्षों तक शंकराचार्य विहीन रहा ज्योतिर्मठ | jyotirmath sankaracharya list in hindi