हिमाचल के Pong dam sanctuary में कई दिनों से कुल मिलाकर 1700 तक पक्षियों के मारे जाने की खबर चर्चा में बनी हुई है । अभी भी वहां सर्वे चल रहा है कि कितने पक्षी मृत हैं लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार 1200- 1700 पक्षियों को मृत घोषित कर दिया गया है ।
Pong dam sanctuary कहां है?
यह ब्यास नदी पर हिमाचल प्रदेश में स्थित है। और इसके पीछे एक तालाब बनता है जिसका नाम महाराणा प्रताप सागर हैं।और इसी के आसपास आर्द्रभूमि यानी कि वेटलैंड में यह मृत पक्षियों पक्षी पाए गए हैं । यहां पर दिसंबर 2020 के आखिरी सप्ताह से पक्षियों के मृत पाए जाने की खबरें शुरू हुई थी । जब 45 मृत पक्षियों पाए गए तो आगे सर्वे करने पर वाइल्डलाइफ स्टाफ को 401 मृत पक्षी मिले और यह पक्षी nagrota रेंज के dhanera और guglara में पाई गई थी ।
उत्तर भारत की हिमाचल प्रदेश में हिमाचल और पंजाब के बॉर्डर पर Pong dam sanctuary के पीछे बनी एक झील और यहीं पर व्यास नदी पर पोंग डैम बना हुआ है इसका निर्माण 1974 में पूरा हुआ था और इसी डैम के पीछे एक तालाब है और इसी को हम महाराणा प्रताप सागर नाम से जानते है इसी महाराणा प्रताप तालाब के किनारे स्थित आद्र भूमि है उनको एक वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के रूप में घोषित किया गया है क्योंकि 1974 में जब से यह डैम बना है तब से लाखों की संख्या में प्रवासी पक्षी ठंड में यहां आते हैं और यह पक्षी साइबेरिया और अन्य ठंडे प्रदेशों से भारत की तरफ सर्दियों में आते हैं क्युकी वहां का तापमान माइनस 30 डिग्री तक होता है चूंकि उत्तर भारत के तापमान 10 डिग्री तक होता है इसलिए यहां पर पक्षी आराम से विचरण करते हैं तीन -चार महीने रहते है और फिर से यह साइबेरिया के तरफ चले जाते हैं लेकिन इन प्रवासी पक्षियों के लिए तालाब के आसपास बनी आद्र भूमि किनारे बने क्षेत्र पक्षियों के अनुकूल बहुत अच्छे है इसलिए इसे बर्ड सेंचुरी भी घोषित किया गया है
शिवालिक हिल में मौजूद नगरोटा हिल्स रेंज जहां पर यह डैम स्थित है यहीं पर ज्यादातर पक्षी पाए गए हैं
यहां पर आने वाले प्रवासी पक्षी:-
Bar headed geese
Black headed Gull
River tern
Common teal
Shoveler
मृत पक्षी इसी सेंचुरी के आस पास पाए गए हैं।
वहां रहने वाले आस- पास के लोगों का कहना है कि मृत पक्षियों का व्यवहार मरने से पहले अजीब सा होता है हालांकि इसका कारण अभी पता नहीं चल पाया है । लोकल फॉरेस्ट ऑफिसर का कहना है कि यह कोई जहरीला कारण नहीं था क्योंकि अक्सर शिकारी, चिड़िया के खानों में जहर मिला देते हैं और जहर भरे इस खाने को पक्षियों के आसपास फेंक देते हैं ताकि वह इसे खा कर मर जाए और इस तरह शिकारी आराम से शिकार कर पाता है पर इन पक्षियों में ऐसा कोई भी जहरीला पदार्थ नहीं पाया गया है इसलिए इन पक्षियों के मृत होने के कारण जानने के लिए इन पक्षियों को इंडियन वेटरिनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली और ओरिजिनल डायग्नोस्टिक लैबोरेट्री जालंधर में भेजा गया है।अभी वहां पर पर्यटक को प्रतिबंध कर दिया गया है क्योंकि वहां के लोगों का मानना है अगर कोई वायरस हुआ तो वह काफी खतरनाक हो सकता है कई दूर क्षेत्र तक फैल सकता है और लोगों तक भी फैल सकता है और इस वायरस को रोकने के लिए भी वहां के क्षेत्र में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है
census के अनुसार pong wetland mein 57000 migratory प्रवासी पक्षी हर साल यहां आते हैं हर साल 114 सिर्फ पक्षियों की प्रजाति है जो डेढ़ लाख तक की संख्या होती है इसलिए यह बर्ड सेंचुरी के नाम से भी प्रसिद्ध है।