Friday, March 24, 2023

स्वामी विवेकानंद जी का सम्पूर्ण जीवन परिचय | Complete life introduction of Swami Vivekananda | Vivekananda Jayanti 2023

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Swami Vivekananda ji का जन्म 12 जनवरी 1863 में कलकत्ता के गौरमोहन मुखर्जी स्ट्रीट में हुआ था . स्वामी विवेकानंद जी के बचपन का नाम नरेन्द्र दास दत्त था. वह कलकत्ता के एक उच्च कुलीन परिवार में जनम लिए थे . वे उच्च कुलीन परिवार से सम्बन्ध रखते थे. Swami Vivekananda ji की मृत्यु: 4 जुलाई 1902 में हुई . Swami Vivekananda ji की माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था वे एक धार्मिक महिला थी . Swami Vivekananda ji के बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ था .उनकी माता Swami Vivekananda ji के बाल्यकाल में रामायण और महाभारत की कहानियाँ सुनाया करती थी. वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे।

 उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में Swami Vivekananda ji की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें 2 मिनट का समय दिया गया था किन्तु उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण का आरम्भ ( मेरे अमेरिकी बहनों एवं भाइयों ) के साथ करने के लिये जाना जाता है। उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था।

Swami Vivekananda ji

स्वामी विवेकानंद जी का सम्पूर्ण जीवन परिचय ( Complete life introduction of Swami Vivekananda )

नाम – नरेन्द्रनाथ दत्त

घर का नाम – नरेंद्र / नरेन 

जन्म – 12 जनवरी ( 1963 )

जन्म स्थान – कलकत्ता ( भारत )

मठवासी [ monk ] बनने के बाद का नाम – स्वामी विवेकानंद 

पिता का नाम – विश्वनाथ दत्त

माता का नाम – भुवनेश्वरी देवी 

भाई – बहन – 9

राष्टियता – भारतीय 

गुरु का नाम – रामकृष्ण परमहंस 

शिक्षा – बेचलर ऑफ आर्ट  ( 1984 )

संस्थापक – रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ

फिलोसोफी – आधुनिक वेदांत और राज योग

साहित्यिक कार्य – राज योग, कर्म योग, भक्ति योग, मेरे गुरु (My Master ) 

                               अल्मोड़ा से कोलोंबो तक दिए गये सभी व्याख्यान (Lectures )      

 

अन्य महत्वपूर्ण कार्य – न्यू यॉर्क में वेदांत सोसाइटी की स्थापना, केलिफोर्निया में 

                                     शांति आश्रम [Peace Retreat] और भारत में अल्मोड़ा के 

                                        पास अद्वैत आश्रम की स्थापना .

उल्लेखनीय शिष्य – अशोकानंद, विराजानंद, परमानन्द, अलासिंगा पेरूमल.

                                 अभयानंद, भगिनी [Sister] निवेदिता, स्वामी सदानंद

मृत्यु तिथी – 4 जुलाई, 1902

मृत्यु स्थान – बेलूर, पश्चिम बंगाल, भारत

Swami Vivekananda ji

Swami Vivekananda ji का जन्म एक इसे परिवार में हुआ जो आर्थिक रूप से संपन्न था .एव वे अत्यंत सत्बिक प्रवत्ति से पले और बढे थे . उनके पिता पाश्चात्य संस्कृति में विश्वास करते थे इसीलिए वे स्वामी विवेकानंद जी को अग्रेजी भाषा और शिक्षा का ज्ञान दिलवाना चाहते थे. उनका कभी भी अंग्रेजी शिक्षा में मन नहीं लगा. वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी होने के बावजूद उनका शैक्षिक प्रदर्शन औसत था. उनको यूनिवर्सिटी एंट्रेंस लेवल पर 47 फीसदी, एफए में 46 फीसदी और बीए में 56 फीसदी अंक मिले थे.

कलकत्ता के एक कुलीन बंगाली कायस्थ परिवार में जन्मे Swami Vivekananda ji आध्यात्मिकता की ओर झुके हुए थे। वे अपने गुरु रामकृष्ण देव से काफी प्रभावित थे जिनसे उन्होंने सीखा कि सारे जीवों मे स्वयं परमात्मा का ही अस्तित्व हैं; इसलिए मानव जाति अथेअथ जो मनुष्य दूसरे जरूरतमन्दो की मदद करता है या सेवा द्वारा परमात्मा की भी सेवा की जा सकती है। रामकृष्ण की मृत्यु के बाद विवेकानन्द ने बड़े पैमाने पर भारतीय उपमहाद्वीप की यात्रा की और ब्रिटिश भारत में तत्कालीन स्थितियों का प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त किया।

 बाद में विश्व धर्म संसद 1893 में भारत का प्रतिनिधित्व करने, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए प्रस्थान किया। विवेकानन्द ने संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में हिंदू दर्शन के सिद्धान्तों का प्रसार किया और कई सार्वजनिक और निजी व्याख्यानों का आयोजन किया। भारत में विवेकानन्द को एक देशभक्त सन्यासी के रूप में माना जाता है और उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Swami Vivekananda ji के जीवन की महत्त्वपूर्ण तिथियाँ :-

  • 12 जनवरी 1863 — कलकाता में जन्म
  • 1879 — प्रेसीडेंसी कॉलेज कलकत्ता में प्रवेश
  • 1880 — जनरल असेम्बली इंस्टीट्यूशन में प्रवेश
  • नवम्बर 1881 — रामकृष्ण परमहंस से प्रथम भेंट
  • 1882-86 — रामकृष्ण परमहंस से सम्बद्ध
  • 1884 — स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण; पिता का स्वर्गवास
  • 1885 — रामकृष्ण परमहंस की अन्तिम बीमारी
  • 16 अगस्त 1886 — रामकृष्ण परमहंस का निधन
  • 1886 — वराहनगर मठ की स्थापना
  • जनवरी 1887 — वड़ानगर मठ में औपचारिक सन्यास
  • 1890-93 — परिव्राजक के रूप में भारत-भ्रमण
  • 25 दिसम्बर 1892 — कन्याकुमारी में
  • 13 फ़रवरी 1893 — प्रथम सार्वजनिक व्याख्यान सिकन्दराबाद में
  • 31 मई 1893 — मुम्बई से अमरीका रवाना
  • 25 जुलाई 1893 — वैंकूवर, कनाडा पहुँचे
  • 30 जुलाई 1893 — शिकागो आगमन
  • अगस्त 1893 — हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रो॰ जॉन राइट से भेंट
  • 11 सितम्बर 1893 — विश्व धर्म सम्मेलन, शिकागो में प्रथम व्याख्या
  • 27 सितम्बर 1893 — विश्व धर्म सम्मेलन, शिकागो में अन्तिम व्याख्यान
  • 16 मई 1894 — हार्वर्ड विश्वविद्यालय में संभाषण
  • नवंबर 1894 — न्यूयॉर्क में वेदान्त समिति की स्थापना
  • जनवरी 1895 — न्यूयॉर्क में धार्मिक कक्षाओं का संचालन आरम्भ
  • अगस्त 1895 — पेरिस में
  • अक्टूबर 1895 — लन्दन में व्याख्यान
  • 6 दिसम्बर 1895 — वापस न्यूयॉर्क
  • 22-25 मार्च 1896 — फिर लन्दन
  • मई-जुलाई 1896 — हार्वर्ड विश्वविद्यालय में व्याख्यान
  • 15 अप्रैल 1896 — वापस लन्दन
  • मई-जुलाई 1896 — लंदन में धार्मिक कक्षाएँ
  • 28 मई 1896 — ऑक्सफोर्ड में मैक्समूलर से भेंट
  • 30 दिसम्बर 1896 — नेपाल से भारत की ओर रवाना
  • 15 जनवरी 1897 — कोलम्बो, श्रीलंका आगमन
  • जनवरी, 1897 — रामनाथपुरम् (रामेश्वरम) में जोरदार स्वागत एवं भाषण
  • 6-15 फ़रवरी 1897 — मद्रास में
  • 19 फ़रवरी 1897 — कलकत्ता आगमन
  • 1 मई 1897 — रामकृष्ण मिशन की स्थापना
  • मई-दिसम्बर 1897 — उत्तर भारत की यात्रा
  • जनवरी 1898 — कलकत्ता वापसी
  • 19 मार्च 1899 — मायावती में अद्वैत आश्रम की स्थापना
  • 20 जून 1899 — पश्चिमी देशों की दूसरी यात्रा
  • 31 जुलाई 1899 — न्यूयॉर्क आगमन
  • 22 फ़रवरी 1900 — सैन फ्रांसिस्को में वेदान्त समिति की स्थापना
  • जून 1900 — न्यूयॉर्क में अन्तिम कक्षा
  • 26 जुलाई 1900 — योरोप रवाना
  • 24 अक्टूबर 1900 — विएना, हंगरी, कुस्तुनतुनिया, ग्रीस, मिस्र आदि देशों की यात्रा
  • 26 नवम्बर 1900 — भारत रवाना
  • 9 दिसम्बर 1900 — बेलूर मठ आगमन
  • 10 जनवरी 1901 — मायावती की यात्रा
  • मार्च-मई 1901 — पूर्वी बंगाल और असम की तीर्थयात्रा
  • जनवरी-फरवरी 1902 — बोध गया और वाराणसी की यात्रा
  • मार्च 1902 — बेलूर मठ में वापसी
  • 4 जुलाई 1902 — महासमाधि 
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