सुबह का सूरज निकलेगा,
हंसी का गुब्बारा फूटगे,
और क्या अब तो श्रीमति की फटकारों,
से अच्छों-अच्छों का ठिकाना लगेगा।
(सुबह का सूरज निकलेगा। हंसी का गुब्बारा फूटगे, और अब, क्या पत्नी की फटकार, अच्छाई का ठिकाना आ जाएगा।)
पतियों तुम्हारी कोई खेर नहीं,
अब श्रीमतियों से कोई वैर नहीं ।।
(पति आपकी देखभाल नहीं करते, अब पत्नियों से कोई फर्क नहीं पड़ता।)
अब श्रीमति की फटकार का महत्व सुन आप शुभप्रभात के पाठक घबरा न जाना, बस आज मुस्कुरा जाना। आइये जानते हैं, आपको खूब हँसाने के लिए, प्रस्तूत है: –
(अब, अपनी पत्नी की फटकार के महत्व को सुनें, घबराएं नहीं, सुप्रभात के लेख, आइए जानते हैं, आपको हंसाने के लिए, वर्तमान है: -)
श्रीमति की फटकार सुनी जब,
तुलसी भागे छोड़ श्रीमति का घर l
राम चरित मानस का ग्रन्थ रच डाला,
और तो और वे जग में बन गए भक्त महान ll
(जब मैंने पत्नी की फटकार सुनी, तो तुलसी पत्नी के घर से भाग गई। राम चित्र ने मन बनाया, दुनिया में भक्त महान बन गए)
श्रीमति छोड़ भगे थे जो जो,
वही बने विद्वान महान l
चाहते हैं गौतम बुद्ध महावीर तीर्थंकर हों,
पत्नी छुट्टी बने भगवान भगवान
(जो, जिन्होंने अपनी पत्नी को छोड़ दिया था, एक महान विद्वान बन गए हैं चाहे गौतम बुद्ध महावीर एक तीर्थंकर हों, भगवान पत्नी को छोड़ देंगे।)
अद्भुत है यह श्रीमति की मार।
श्रीमति के तने सुन सुन कर,
खुलते ज्ञान चक्षु के अब द्वार ।।
(मेरी पत्नी को मारना अद्भुत है। पत्नी के ताने सुनकर, ज्ञान की आंखें खुलीं।)
दस्यु सुना उत्तर श्रीमति का
भरम हो, गया अंतर्ध्यान।
हार गई श्रीमति से दस्युता
बाल्मिकी हुए कवि महान ।।
(दस्यु ने पत्नी धन्य का उत्तर सुना, गया। दुतीता एक खोई हुई पत्नी बाल्मीकि एक महान कवि बन गई।)
श्रीमति छोड़ जो भागे मोदी,
हुए आज हैं पंत प्रधान एल
अडवाणी ना छोड़ सके तो,
अभी तक देख रहे हैं परेशान ll
(मोदी जो अपनी पत्नी को छोड़कर भाग गए थे, आज पंत प्रमुख हैं। अगर आडवाणी नहीं छोड़ सकते, तो देखें आप अभी भी परेशान हैं।)
आगे, इसलिए श्रीमति की, फटकार जिसने श्रीमान को नहीं सुना, तो क्या हुआ उसका पढिये-
कहानी पढ़ते ही कॉम से आप जुड जायेंगे: –
(आगे, इसलिए पत्नी, फटकार जिसने नहीं सुनी सर, तो पढ़िए क्या हुआ – कहानी पढ़ते ही आप हास्य से जुड़ जाएंगे: -)
नहीं किया, विवाह जिसने श्रीमान,
और नहीं सुनी श्रीमति की तान l
इसीलिए फिरता है भक्तता,
बन न बन वह नेता, क्या अभिनेता महान ll
(विवाहित नहीं हैं, मि। ने श्रीमती की आवाज नहीं सुनी, इसीलिए वह भटकती हैं, वह नेता नहीं बन सकतीं, क्या अभिनेता बनेंगे)
हम भी श्रीमति छोड़ न पाए, इसीलिए
तो परेशान हैं
श्रीमति छोड़ बनो सन्यासी,
पाओ मोक्ष और निर्वाण ll
(हम पत्नी को भी नहीं छोड़ सकते थे, इसीलिए हम चिंतित हैं। अपनी पत्नी को छोड़ दो, एक भिक्षु बन जाओ, मोक्ष और निर्वाण प्राप्त करो।)
इसलिए जो श्रीमति की फटकार न सुने
वह न बन गई, सभ्य इंसान,
वह तो गली-गली भी फिरे, सत्संग भी सही,
फिर अब, निक न पाए, उसके सहज प्राण।
तो अब निश्चित ही श्रीमति की, फटकार सुनो श्रीमान।
(इसलिए जो पत्नी की फटकार नहीं सुनता वह एक सभ्य व्यक्ति नहीं बन सकता, वह सड़क पर घूमता है, सत्संग भी करता है, फिर अब, बाहर मत निकलो, उसकी आसान जिंदगी। ‘
अंतिम की पँक्ति का आश्चर्य जरूर पढिये उसने, यह है कि: –
(कृपया अंतिम पंक्ति के आश्चर्य को पढ़ें, कि: -)
अब हास्य कविता का केवल आनन्द लें, रिस्क केवल अपने दम पर ही लें,
क्योंकि, इस कविता को लिखने वाला आलोप है,
लिखवाने वाला गायब है
क्या कहना भाईयों, बहनों
कविता देखकर लगता है।
लेखक भी अपनी श्रीमति की फटकार से सराबोर है।
इस लिए लेखक के स्वयं को दिखाने का,
उसका नाम को बताने का कार्य प्रगति की ओर है ..
(अब केवल हास्य कविता का आनंद लें, केवल अपने दम पर जोखिम उठाने वाले, क्योंकि, इस कविता को लिखने वाले लेखक का लक्ष्य है, वह जो कविता लिखता है, क्या कहना है मुसलमानों और बहनों कविता को देखता है।)
(लेखक भी अपनी पत्नी की फटकार से अभिभूत है। इसलिए लेखक को खुद को दिखाने के लिए, उसके नाम का खुलासा करने का काम है।)
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