प्रदेश में वन्य-प्राणी संरक्षण और अपराध नियंत्रण पर काबू करने तथा अन्वेशण के उद्देश्य से वन विभाग द्वारा प्रभावी पहल की जा रही है। टाइगर स्ट्राइक फोर्स एवं 5 क्षेत्रीय एसटीएसएफ इकाईयों के संयुक्त प्रयासों से वन्य-प्राणी अपराध तंत्र को समाप्त करने की दिशा में अभूतपूर्व सफलता मिल रही है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-प्राणी) श्री आलोक कुमार ने बताया कि विगत वर्षों में छिन्दवाड़ा जिले में दर्ज पेंगोलिन के शिकार के प्रकरणों में देश के 10 राज्यों से 127 शिकारियों एवं वन्य-प्राणी अवयव तस्करों को गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। इनमें 2 विदेशी नागरिक शामिल हैं। एमटीएसएफ ने 8 अन्य विदेशी तस्करों को गिरफ्तार करने के लिये इंटरपोल की मदद से एक वन्य-प्राणी अवयव के तस्कर के लिये इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जा चुका है।
कान्हा-पेंच कॉरिडोर के मध्य बालाघाट के कटंगी परिक्षेत्र और उससे लगे सिवनी जिले और महाराष्ट्र के भण्डारा व गोंदिया जिले से 60 से ज्यादा शिकारियों और वन्य-प्राणी अवयव तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। इन तस्करों से पता चला है कि वे शिक्षक या सरपंच जैसे ग्राम के प्रभावशाली व्यक्तियों को तंत्र-मंत्र के जाल में फँसाकर वन्य-प्राणी अपराध का हिस्सा बना लेते थे।
589 आरोपियों को किया गया गिरफ्तार
प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री आलोक कुमार ने बताया कि राज्य स्तरीय टाइगर स्ट्राइक फोर्स भोपाल द्वारा 147 प्रकरणों में 589 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इसीलिये वन्य-प्राणी अपराध में 141 संलिप्त आरोपियों की जमानत याचिकाओं को खारिज कराने के लिये सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों में कार्रवाई की गई है। वन मण्डल राजगढ़ में पेंगोलिन के शल्क की अवैध तस्करी के प्रकरण में त्वरित कार्रवाई कर 7 महीने में निर्णय कराकर आरोपियों को दण्डित कराया गया और बैतूल वन मण्डल के अंतर्गत वन्य-प्राणी संरक्षण अधिनियम-1972 में अर्थदण्ड के साथ न्यायालय द्वारा 7 वर्ष के कारावास की सजा दिलाई गई।
3 अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक सिंडिकेट कोकिया ध्वस्त
वन्य-प्राणी अपराध में संलिप्त 3 अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक सिंडिकेट को ध्वस्त करने के फलस्वरूप प्रदेश को क्लार्क ऑफ बॉविन अवार्ड (जोहांसबर्ग दक्षिण अफ्रीका) से नवाजा जा चुका है।