Thursday, June 8, 2023

महिलाओं और बच्चों की शक्ति – शक्ति एक्ट

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महिलाओं और बच्चों की शक्ति – शक्ति एक्ट
महाराष्ट्र विधानसभा में 14 और 15 दिसंबर को शीतकालीन सत्र था और इसी दौरान शक्ति बिल ड्राफ्ट विधानमंडल में पेश किया गया ।
महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक कानून लाया जा रहा है । जिसका नाम है शक्ति एक्ट। जिसमे मृत्यु दंड की सजा का प्रावधान रखा गया है। हाल ही में भारत सरकार ने एक ड्राफ्ट बिल पेश किया ।जिसके जरिए इस कानून में यौन अपराध और अत्याचार जो महिलाओं के खिलाफ होते आ रहे हैं उनके खिलाफ कड़े कानून बनाने की तैयारी में है विशेषकर बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध भी शामिल हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने आंध्र प्रदेश के दिशा एक्ट से प्रेरित होकर इस एक्ट का नाम प्रस्तावित किया है, जिसका नाम स्पेशल कोर्ट एंड मशीनरी फोर द इम्पलेमेंटेशन ऑफ शक्ति एक्ट 2020 (Special Courts and Machinery for the Implementation of Shakti Act 2020) है।

नए कानून की जरूरत क्यों ?
सरकार ने तर्क दिया है कि हाल ही में बढ़ते अपराध और अत्याचार महिलाएं ,बच्चों के मानसिकता और उनकी शक्ति को कम करते हैं। और वे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं
इसलिए महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया है । ताकि बढ़ते यौन अपराध भी बंद हो सके।

क्या है शक्ति एक्ट?
शक्ति कानून के नाम से जाने जाने वाले इस एक्‍ट में यौन अपराधियों के लिए मृत्युदंड, आजीवन कारावास और भारी जुर्माना सहित कड़ी सजा और मुकदमे की त्वरित सुनवाई होगी।
इस तरह कि घृणित अपराधों में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल होने के प्रतिदिन सुनवाई होगी और 30 दिन के भीतर पूरी कर दी जाएगी । अगर अपराधी हायर कोर्ट में जाता है तो भी 45 दिन के भीतर फाइल पूरी कर ली जाएगी/बंद कर दी जाएगी।
नए कानून के अंतर्गत कई कानूनों में संशोधन किया गया है जैसे भारतीय दंड संहिता, सीआरपीसी, पोक्सो । और इसमें मौजूद अलग-अलग सेक्शन जैसे रेप , यौन अपराध ,एसिड अटैक ,बच्चों से यौन अपराध जैसे सभी सेक्शन में बदलाव किया जा रहा है। पिछले कानून में इन अपराधों के लिए कितना और कैसा दंड दिया जाए इसकी व्याख्या नहीं की गई थी । पर इस नए कानून के अंतर्गत सभी अलग। – अलग अपराधों के लिए अलग – अलग सजा और जुर्माना का प्रावधान रखा गया है ।

सीआरपीसी में संशोधन-
अगर कोई एफ आई आर दर्ज करवाता है तो पुलिस को 15 दिन के अंदर जांच शुरू करनी ही होगी। और उसे अधिकतम 7 दिनों तक बढ़ा सकता है। पर उसे 22 दिन के अंदर पुलिस जो जांच कर रही है उसे लिखित में कारण बताना होगा। पुलिस को जांच करने के बाद कोर्ट में फाइल चार्ज शीट 30 दिनों के अंदर सभी बातों को अंतिम रूप देना होगा। अगर आरोपी हायर कोर्ट में भी जाता है तो अधिकतम 45 दिन का समय होगा। तो इस तरह लोअर कोर्ट में 30 दिन और हायर कोर्ट में 45 दिनों में केस को निपटाना अनिवार्य होगा।

शक्ति एक्ट के अंदर यह प्रस्ताव दिया गया है कि हर जिले में स्पेशल कोर्ट, विशेष पुलिस टीम होगी. पीड़ित महिला और बच्चों की सहूलियत और सुविधा के लिए विशेष संस्था का गठन होगा। एसिड अटैक के केस में धारा गैर जमानती होगी, जिसमें सजा का प्रावधान 10 साल से कम का नहीं होगा।
अब आने वाले हर एक्ट और बिल में इंटरनेट और सोशल मीडिया को भी शामिल किया जाता है क्योंकि डिजिटल हर व्यक्ति का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है। इसी तरह शक्ति एक्ट में भी सोशल मीडिया का जिक्र कर इस पर कुछ कानून बनाए गए हैं। इसमें सेक्शन 354 E को भी जोड़ा गया है। जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर अभद्र भाषा प्रयोग , गलत बातचीत करता है। तो उसे 2 साल की जेल , 1 लाख जुर्माना। या दोनो हो सकते हैं।
अगर महिला के निजी अधिकार का हनन कोई व्यक्ति करता है जैसे उसके वीडियो या किसी फोटो को इंटरनेट या किसी सोशल मीडिया पर पोस्ट करता है तो उसे भी 2 साल की सजा और 1 लाख का जुर्माना या दोनों हो सकता है इस बिल ड्राफ्ट में इंटरनेट, टेलीफोन प्रोवाइडर या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भी शामिल किया गया है अगर यह प्लेटफार्म से कोई जांच करने वाला पुलिस , इनसे जांच करने में सहयोग मांगता है तो उन्हें सहयोग देना अनिवार्य होगा । अगर इंटरनेट ,टेलीफोन प्रोवाइडर या सोशल मीडिया वाले मदद करने से मना करते हैं तो उन्हें भी 1 महीने की जेल और 5 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।

( सोशल मीडिया तथा अन्‍य किसी भी प्रकार के संचार के साधन द्वारा किसी महिला के साथ किया गया दुर्व्यवहार या शोषण के लिए दो साल की सजा का प्रावधान है । और एक लाख का जुर्माना भी रखा गया है। सरकारी कर्मचारी अगर जांच में सहयोग करने से मना कर दे । तो उसके लिए भी छह माह की सजा का प्रावधान है। जिसे दो साल के लिए और बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। )
नए कानून के तहत कुछ इंस्टिट्यूट को भी खोला जाएगा। जिन्हें वन स्टॉप सेंटर कहां जाएगा । इसके जरिए महिला और बच्चों का पुनर्वास ,कानूनी सहायता, काउंसलिंग और मीडिया का समर्थन होगा ।

नए कानून के तहत अगर महिला गलत सूचना या एफ आई आर दर्ज करवाती है तो इस पर भी कानून बनाए गए हैं।

आईपीसी में संशोधन

-आईपीसी की धारा 354 में सेक्शन ‘E’ को जोड़ा जाएगा, इसके अंतर्गत सोशल मीडिया, टेलीफोन या अन्य डिजिटल माध्यमों के द्वारा प्रताड़ना, आपत्तिजनक टिप्पणी और धमकी के मामलों में केस दर्ज किया जाएगा।

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