हमारे भारत देश में 12 जनवरी को महर्षि महेश योगी की जयंती मनाई जाती है । अध्यात्मिक गुरु महेश योगी जी अपने जमाने के एक बडे नाम थे । उन्हें वैदिक शिक्षा केंद्र खोलने और भावातीत ध्यान के प्रणेता के रूप में सभी जानते है। एक समय था जब भावातीत ध्यान की बहुत पुछ थी । आइये जानते हैं उनके संबंध में कुछ खास बातें और व उनका जीवन परिचय।
महर्षि महेश योगी जी का जीवन परिचय :-
Maharishi Mahesh Yogi ji का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ में हुआ था जो की राजिम शहर के पास गरियाबंद रोड पर स्थित पांडुका गांव हें वह एक कच्चा मकान है । उनका असली नाम श्री महेश वर्मा है । उनके पिता जी रेवेन्यू विभाग में आरआई थे। Maharishi Mahesh Yogi ji जब छोटे थे तभी उनके पिता जी का तबादला पाण्डुका से गाडरवाड़ा जबलपुर हो गया था । वहीं महर्षि जी ने शिक्षा प्राप्त की थी। गाडरवाड़ा में ही ओशो का जन्म हुआ था । उन्होंने इलाहाबाद से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि ली । इसके पश्चात वे आध्यात्म के क्षेत्र में सक्रिय हो गए।
1990 से Maharishi Mahesh Yogi ji ने द नीदरलैंड स्थित अपने आवास व्लोड्राप से ही पूरी दुनिया में अध्यात्म का प्रसार करते रहे । Maharishi Mahesh Yogi ji अपने सेवानिवृत्त होने पर उन्होंने कहा था कि मैंने अपना काम कर दिया | जो मुझे मेरे गुरुदेव ने दिया था। महर्षि महेश योगी जी की मृत्यु 6 फरवरी 2008 में हुई |वे 91 वर्ष की आयु में नीदरलैंड में महर्षि आश्रम में माहौल शोकाकुल हो गया। 11 फरवरी को प्रयाग इलाहाबाद में महर्षि महेश योगी जी का अंतिम संस्कार हुआ ।
बीटल्स ग्रुप : भावातीत ध्यान और शिक्षा से आकर्षित होकर अपने दौर का ख्यात म्युजिक ग्रुप बीटल्स 1968 में Maharishi Mahesh Yogi ji की शरण में चला गया। भावातीत ध्यान में प्रशिक्षित होने के लिए बीटल्स ग्रुप भारत आया था। इसके बाद उन्होंने जो गीत लिखा था, वह महर्षि महेश योगी जी द्वारा बताई गई कहानियों पर आधारित था । भावातीत ध्यान के प्रणेता Maharishi Mahesh Yogi ji मशहूर रॉक बैंड बीटल्स के सदस्यों के साथ ही वे कई बड़ी हस्तियों के आध्यात्मिक गुरु थे।
टाइम पत्रिका : 1975 तक आते-आते पश्चिमी दुनिया में उनका भावातीत ध्यान इतना लोकप्रिय हुआ था कि 13 अक्टूबर 19754 को टाइम पत्रिका ने अपने कवर पेज पर Maharishi Mahesh Yogi ji का चित्र सहित कवर स्टोरी छापी थी । जिसका शीर्षक था- ‘ध्यान सारी समस्याओं का जवाब’। Maharishi Mahesh Yogi ji ने 1955 में योग के सिद्धांतों पर आधारित ‘ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन’ (अनुभवातीत ध्यान) के जरिये दुनियाभर में अपने लाखों अनुयायी बनाए थे ।
रजनीश जी से मुलाकात : एक बार Maharishi Mahesh Yogi ji और ओशो रजनीश जी के शिष्यों ने उनकी मुलाकात का आयोजन कराया था जहा उन दोनों की मुलाकात हुई ।
महर्षि महेश योगी जी के आश्रम : भारत कुछ राज्यों में जेसे – आंध्रप्रदेश, बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, नेपाल, असम और दूसरे राज्यों के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड आदि अनेक राज्यों पर उनके आश्रम है जहाँ वैदिक और आधुनिक शिक्षा के अलावा ध्यान और योग की शिक्षा दी जाती है। और कहा जाता है कि सम्पूर्ण विश्व भर में उनके 60 लाख शिष्य है।