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प्रतिक्रियाओं से व्यक्तित्व का अनुमान |personality development in hindi

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नमस्कार दोस्तों आज personality development tips के अंतर्गत यह दूसरी पोस्ट है जो आपके व्यक्तित्व विकास (personality development) में बहुत मददगार साबित हो सकती है, यह आपकी success के लिय एक secret tips साबित हो सकती है. हम कह सकते है यह पोस्ट एक Secret of Success है जो आपकी कामयाबी के लिय बहुत मदद गार साबित होगी आइये जानते है personality development tips in hindi





personality development tips in hindi





मनुष्य के हाव-भाव वह बात कह जाते हैं जो भाषा नहीं कह पाती। वे भाषा से भी अधिक प्रभावी होते हैं। व्यक्ति जो कह रहा है उसके हाव-भाव उसे झुठला भी सकते हैं और उसकी भावाभिव्यक्ति को गहन भी बना सकते हैं। किसी व्यक्ति के हाव-भाव, उसके तत्कालिक संवेगों और उसकी प्रतिक्रिया का अध्ययन करके उस व्यक्ति के व्यक्तित्व (personality) के बारे में बहुत कुछ अनुमान लगाया जा सकता है।





सार्वजनिक स्थान पर टेलीफोन करने के तरीके को ही लें। वार्तालाप शुरू होते ही किसी सज्जन की उपस्थिति व हर गतिविधियों का सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है। टेलीफोन पर बात करते हुए अगर कोई व्यक्ति अटेंशन की मुद्रा में खड़ा है, हाथ की फाइल सलीके से पकड़े हुआ है तो इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि वह सेल्समैन है अथवा किसी कंपनी का प्रतिनिधि जो अपने किसी ग्राहक से बात कर रहा है । उसके शिष्ट और सधे तरीके से यह भी अंदाज लगाया जा सकता है कि वह जिससे बात कर रहा है वह उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण है।





अगर कोई व्यक्ति आराम की मुद्रा में है, शरीर का वजन एक से दूसरे पांव पर दे रहा है, सिर नीचे की ओर झुका हुआ है और नजर भी नीचे की ओर है तथा उसका बात करने का अंदाज नितांत अनौपचारिक हैं तो उसकी personality को देख के यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि वह किसी पुराने मित्र अथवा पत्नी से बात कर रहा है।





जो व्यक्ति फोन करते समय लोगों की ओर पीठ करके खड़ा है उसके हाव-भाव से तो यही लगता है कि उसने दुनिया से ही पीठ फेर ली है जिस नजाकत से वह फोन को पकड़े रहता है, तो उसकी यह personality से यह अंदाजा लगाना कठिन नहीं कि जनाब अपनी प्रेमिका से बात करने में मशगूल है। घर अथवा दफ्तर से भी व्यक्ति को फोन करते देख उसके व्यक्तित्व एवं बातचीत के विषय में बहुत कुछ अंदाजा लगाया जा सकता है।





फोन पर बात करते हुए डूडलिंग (पेन या पेंसिल से फूल-पत्ती या अन्य आकृतियां बनाना) इस personality का अर्थ है बातचीत में उसकी अधिक दिलचस्पी नहीं है, वह पीछा छुड़ाने की जल्दी में है।





फोन सुनते-सुनते खड़े हो जाने का मतलब है कोई बड़ा फैसला हो गया है या सौदा तय हो गया है। कई बार ऐसा भी होता है जब कोई व्यक्ति अप्रत्याशित अच्छी या बुरी खबर के सुनते ही झटके से खड़ा हो जाता है।





बातें करते-करते टाई या बाल संवारने से स्पष्ट होता है कि व्यक्ति अपनी प्रेमिका से बात कर रहा है।





डेस्क पर पांव रखना जहां अत्यधिक आत्मविश्वास का प्रतीक है वहीं बार-बार द्राज खोलने व चहल कदमी और सर पकड़ने पैर हिलाने का मतलब है कि व्यक्ति किसी समस्या में उलझा हुआ है। सिर सीधा, कन्धे ऊंचे, हाथों को झुलाते हुए और जोर से कदम रखते हुए चलना सुखी संतुष्ट जीवन और अधिकार का प्रतीक है । ऐसा व्यक्ति हमेशा दूसरों को प्रभावित करने की कोशिश में रहता है।





personality development tips in hindi





डग छोटे हों, लेकिन पांव यहां-वहां पड़ें तो यह व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी या उसकी जिन्दगी में हीन भावना को दर्शाता है।





कुर्सी पर बैठने के तरीके पर कभी गौर किया है आपने ? कुर्सी के हत्थे पर पांव रखकर बैठना भले ही आपको अनौपचारिकता का प्रदर्शन लगे, लेकिन इस तरह बैठनेवाले आस-पास के वातावरण से उदासीन और आक्रामक स्वभाव के मिलेंगे। कुर्सी के हत्थे पर पांव रखकर उपन्यास अथवा अखबार में डूबे व्यक्ति से कुछ काम कह कर तो देखिए।





कुर्सी पर घूमकर यानी कुर्सी की पीठ पर हाथ रखकर बैठना, सत्ता अथवा अधिकार प्रदर्शन का प्रतीक है। यदि आपका बच्चा अपनी छोटी कुर्सी पर इस तरह बैठता है तो समझ लीजिए कि साथियों को रोब दिखाने में वह कभी पीछे नहीं रहेगा।





आधी कुर्सी खाली छोड़कर किनारे बैठा व्यक्ति आपसे बात कर रहा है तो इसका अर्थ यह लगाइए कि आप जो कह रहे हैं उसमें उसकी गहरी दिलचस्पी है और आपकी बात मानने का मन भी पक्के तौर पर उसने बना लिया है।





अब, हाथों की भाषा भी थोड़ी समझें हाथ नचा-नचाकर बात करना जहां अशिष्टता और आत्मविश्वास ( confidence)की कमी या अपनी ही कही बात पर पूरा भरोसा न होना जाहिर करता है, वहीं हाथों के कुछ संकेत आत्मविश्वास (confidence) धैर्य, दृढ़ता और दंभ के भी परिचायक हैं। कोहनियों के बल हाथों को मेज पर खड़ा कर, उंगलियों को जोड़कर तोरण या मीनार बनाते लोगों को आपने अक्सर देखा होगा। ऐसे लोग अत्यधिक आत्मविश्वासी रोबीले और दृढ निश्चयी होते हैं, और कुछ सीमा तक दंभी भी। अधिकारी कनिष्ठ कर्मचारियों से बात करते समय अक्सर ही यह मुद्रा अपनाते हैं जबकि महिलाएं अक्सर गोद में हाथ रखकर उंगलियां एक दूसरे में फंसा लेती हैं।





यह भी आत्मविश्वास (confidence) और दृढ़ निश्चय का प्रतीक ही है, साथ ही यह भी जाहिर होता है कि अपने कर्मचारी की समस्या को सोचने समझने तथा कार्यरूप देने में उनका नजरिया संकीर्ण नहीं है। हांलाकि ऐसे लोग दंभी नहीं होते। डॉक्टर, वकील आदि व्यवसायी बात करते वक्त अक्सर उंगलियां आपस में सा लेते हैं।





खड़े होकर पीछे हाथ बांधकर उंगलियां एक-दूसरे में फंसाना भी रोब और अधिकार प्रदर्शन की भावना दर्शाता है। बड़े सेना अधिकारियों को निरीक्षण करते या सिविल सर्जन को वार्ड का दौरा करते समय इस मुद्रा में अक्सर देखा जाता है।





कुर्सी या सोफे पर बैठकर हाथ सिर के पीछे बांधकर बैठना भी आत्मविश्वास और रोबीले व्यक्तित्व की पहचान है। अपने से छोटे कर्मचारियों और घर में छोटों को आदेश देते हुए बड़ों को इस तरह बैठे आपने कई बार देखा होगा।





इसी तरह, मनुष्य के हाव-भाव की भी एक मूक भाषा होती है जो कहीं अधिक प्रभावी और सच्ची होती है उसके ये संकेत और चेष्टाएं अनजाने में ही वह सब कह जाते हैं जो वह जबान से नहीं कहता। कभी-कभी परिस्थितियां अनुकूल न रहने पर वह जरा सी बात भी कहने का साहस नहीं जुटा पाता। तब ये मूक भाषा बड़ी ही आसानी से अपना कार्य करके इंसान की जिन्दगी में अहम भूमिका निभाती है और, यही कारण है कि सदियों से ये मूक भाषा अपने अस्तित्व में है।





तनाव से बचाती है मुस्कान | personality development in hindi





प्रकृति ने मनुष्य को कई ऐसे गुण प्रदान किए हैं जो उसे जानवरों की तुलना में श्रेष्ठ बनाते हैं। इनमें से एक है-हंसी, वह गुण है जिसके उपयोग से हम स्वयं प्रसन्न रह सकते हैं तथा दूसरों को भी प्रसन्न रख सकते हैं। इसी मुस्कान या विनोदप्रियता के द्वारा हम गम, उदासी, तनाव, अवसाद, चिंता, ईर्ष्या क्रोध पर काबू पा सकते हैं तथा अपने व्यक्तित्व (personality development) में और अपने जीवन में चमत्कारी परिवर्तन ला सकते हैं।





आज के तनावयुक्त वातावरण में हमें सबसे अधिक आवश्यकता है हसी की। ऐसी मधुर मुस्कान किसी दुर्लभ प्राणी की भांति लुप्त होती जा रही है। आज जिन्दगी के सफर में जिसे देखिए गंभीर चेहरा बनाए उदास या तनावयुक्त नजर आएगा। हंसी से उन्मुक्त निरुत्साहित चेहरों के बजाय गुलाब जैसे खिले चेहरे बहुत कम नजर आएंगे। मुस्कुराते चेहरों का महत्व भूलकर निरुत्साहित व्यक्ति अपने मूड’ के दबाव में जीता रहता है तथा जीवन को अधिक बोझिल बनाए जाता है। मुस्कान एवं हास्य के द्वारा समाज में व्याप्त अनेक कठिनाइयों पर काबू पाया जाना संभव है। निजी जीवन में यदि हम ‘हास्य’ तलाशें तथा विनोदप्रिय बने रहकर हंसी को अपनी आदत बना ले तो इसमें कोई शक नहीं कि कुछ ही दिनों में हम स्वयं को पहले की तुलना में कहीं अधिक प्रसन्न तथा जीवन से भरपूर बना लेंगे।





चिन्तकों के विचार | जीवन में हास्य का महत्व | personality development tips in hindi





समाज में हास्य को प्राचीन काल से ही महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है और इसकी महत्ता स्वीकार की गई हैं। राजाओं के काल में दरबारी विदूषक, मसखरे, भाण्ड आदि हुआ करते थे, जिनका एकमात्र कार्य दरबार में तनाव को समाप्त कर हास्य बिखेरना होता था। तेनालीराम ऐसे ही एक विदूषक थे, जो अपनी बुद्धि और हास्य के फलस्वरूप लोकप्रिय बने रहें। सर्कस, नौटंकी आदि में हास्य उत्पन्न करने के लिए जोकर’ रखे जाते हैं तथा फिल्मों व नाटको में हास्य कलाकार यह भूमिका निभाकर कुछ क्षणों के लिए हमें अपने सभी गम भूलने के लिए विवश कर देते हैं।





जीवन में हास्य का महत्व |personality development in hindi





चिंतकों एवं विचारकों के अलावा महत्वपूर्ण पदों पर बैठे व्यक्तियों ने भी  समय-समय पर जीवन में हास्य का अदभुत गुण अपनाया तथा प्रसन्नचित्त बने रहे। महात्मा गांधी, चर्चिल, अब्राहम लिंकन सुकरात. बाड-शॉ आदि कुछ नाम ऐसे हैं जिन्होंने विनोदप्रियता को अपनाकर स्वयं को प्रसन्न एवं चिन्तामुक्त रखा। ये व्यक्ति कठिन से कठिन स्थिति में भी हास्य तलाश कर पाने में सक्षम थे। उदाहरण के लिए सुकरात के बारे में एक किस्सा मशहूर है सुकरात की पत्नी बड़ी लड़ाकू थी। एक बार सुकरात कहीं से उपदेश देकर लौटे तो पत्नी ने गालियां बकनी शुरू कर दी। सुकरात मुस्कुराते हुए चुप रहे । फलस्वरूप पत्नी अधिक उग्र हुई तथा उसने भरी सर्दी में एक मटका ठण्डा पानी सुकरात के सिर पर उडेल दिया। अब तो सुकरात और भी ठहाका लगाकर हसे और बोले-प्रिय, अब में बहुत खुश हूँ। मुझे यह चिंता सता रही थी कि गर्जन और चमक के बाद वर्षा क्यों नहीं आई। ऐसे थे सुकरात, जिन्होंने हमेशा मुस्कान का महत्व समझा और शायद यही कारण था कि जब उन्होंने जहर का प्याला पिया, तब भी वे मुस्करा रहे थे।





प्रसिद्ध विचारक नीत्से का कहना है कि मैं जानता हूँ कि सिर्फ मनुष्य ही क्यों हस सकता है ? शायद इसलिए कि मनुष्य को ही सबसे अधिक दुख झेलने होते हैं, अतः उसने हंसी का आविष्कार किया। सुविज्ञ विचारक एवं व्यक्तित्व निर्माण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण हरितयों के रूप में विख्यात डेल कारनेगी एवं स्वेट मार्डन ने लगभग सभी क्षेत्रों में हास्य के महत्व को दर्शाया है तथा मुस्कराते रहने की प्रेरणा दी है।





स्वेट मार्डन लिखित एक पुस्तक अपने आप को पहचानिए का एक अंश मुस्कान के गुण का वर्णन इस प्रकार करता है-‘मुस्कराहट पर खर्च कुछ नहीं आता, परन्तु यह पैदा बहुत करती है। इसे पाने वाले मालामाल हो जाते हैं, परन्तु देने वाले भी दरिद्र नहीं होते, बल्कि अपनी आत्मिक अभिव्यक्ति मुस्कान से करते हैं जो एक क्षण में उत्पन्न होती है और इसकी स्मृति कभी-कभी सदा के लिए बनी रहती है। यह थके हुए के लिए विश्राम है, हतोत्साहित के लिए दिन का प्रकाश है, ठिठुरे हुए के लिए धूप है और कष्ट के लिए प्रकृति का सर्वोत्तम हथियार है। हथियार तो खरीदे जा सकते हैं पर यह नहीं क्योंकि यह अनमोल है। मांगी भी नहीं जा सकती, उधार भी नहीं दी जा सकती परन्तु फिर भी इसकी आशा जरूर बिखेरी जा सकती है। जब तक यह दी न जाए तब तक संसार में यह किसी के कुछ काम की नहीं बल्कि पत्थर है, लेकिन एक रत्न जरूर है जिस पर मनन करके हमारे व्यक्तित्व में पर्याप्त निखार लाया जा सकता है।





personality development में हास्य का महत्व





हंसी एवं मुस्कान का सामाजिक एवं शारीरिक महत्व ही नहीं, बल्कि आर्थिक महत्व भी है। कोई भी दुकानदार मुस्कान एवं बिक्री के महत्व से भली-भांति परिचित होता है। एयर हॉस्टेस व रिसेप्शनिस्ट जैसे कार्यों के लिए भी हंसी जरूरी है, नितांत जरूरी है। मुस्कान के सहारे ही सौन्दर्य प्रतियोगिता जीती जा सकती है। शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक रूप में हसी एवं मुस्कान के अनेक गुण है। जब आप दिल खोलकर हसते हैं तब चेहरे की पेशियों की तो कसरत होती ही है, साथ ही यह हमारी आत्मा के लिए एक टॉनिक का काम भी करती है।





इससे अवसाद से मुक्ति मिलती है. दर्द में राहत मिलती है, दुख के क्षण कपूर की गांति उड़ जाते हैं, आत्मविश्वास (self confidence) बढ़ता है. परस्पर मैत्री बढ़ती है, समस्याओं पर काबू पाने में मदद मिलती हैं, आत्मशक्ति बढ़ती है, हीन भावना दूर होती है और हमारा चेहरा तुलनात्मक रूप से अधिक सुन्दर नजर आता हैं। क्रोध की अपेक्षा हंसना अधिक लाभदायक है। यह तो आप जानते हैं. किन्तु यह भी जान लीजिए कि क्रोधित होने की अपेक्षा हंसना शारीरिक रूप से अधिक आसान भी है। मुस्कराने के लिए चेहरे को सिर्फ 17 मांसपेशियों की आवश्यकता पडती है जबकि क्रोधित होने के लिए 43 मांसपेशियों की आवश्यकता होती है जब मुस्कान इतनी सरल है और इतनी लाभदायक है तब आप इसे अपने जीवन में क्यों नहीं अपनाते ?





personality development, में मुस्कान व्यक्तित्व की परिचायक





हम किस प्रकार हंसते हैं तथा किस परिस्थिति में किस पर हंसते हैं, इससे हमारे व्यक्तित्व (personality) का पता लगता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति स्वयं पर हंसने की क्षमता रखता है वह श्रेष्ठ है। अतः जब कभी भी आप क्रोधित हो रहे हों तो कुछ क्षणों के लिए उसे टालकर हास्य तलाशने का यत्न करें। तब आप निश्चित रूप से आज की समस्याजनक स्थितियों से आसानी से उबर सकेंगे। जीवन में हास्य तलाशना आवश्यक है, मुस्कराना भी जरूरी है, ठहाके मारकर हंसना भी लाभदायक है, किन्तु यह जानना अति आवश्यक है कि कब और किस प्रकार हंसा जाए ?





कहीं ऐसा तो नहीं कि आप अपनी हंसी द्वारा दूसरे का उपहास कर रहे हो या वैमनस्य के कारण आपके होंठों पर कुटिल मुस्कान समाई हो। नकली हंसी अमर्यादित या फिर उपहासात्मक हंसी हमारे अपरिष्कृत व्यक्तित्व की परिचायक है। नकली हंसी हसना हमारे दिमाग का खालीपन दर्शाता है। बिना मौके हंसना तथा बिना सोचे-समझे हंसना अक्सर भीरु का एक गुण होता है। बेमौके ठहाके लगाकर हंसना आपके व्यक्तित्व का एक दुर्गुण है। फिर भी, इसका अर्थ यह भी नहीं कि ठहाके मारकर हसा ही नहीं जाए। जो व्यक्ति स्वयं को एक मर्यादा में बाधे रखते हैं वे कभी ठहाके मारकर नहीं हंसते। हंसते भी हैं तो उनकी ये हसी जबरदस्ती लादी गई प्रतीत होती है जो सिर्फ होंठों के हास्य-किनारों तक ही सीमित रहती है।





ऐसे व्यक्ति चाहकर भी स्वयं की भावनाओं को दर्शा नहीं पाते । फलस्वरूप उनमें आगे चलकर सेंस ऑफ ह्यूमर अर्थात विनोदप्रियता का गुण समाप्त हो सकता है। ऐसे व्यक्ति आगे चलकर इस मानसिकता के शिकार हो सकते हैं कि अगर कोई अन्य व्यक्ति हंस रहा है तो उन्हें लगता है कि वह सिर्फ उन्हीं पर हस रहा है, उनके साथ नहीं हंस रहा है।





यह भी सच है कि कुछ व्यक्तियों को दूसरों की खिल्ली उड़ाकर हंसने में आनन्द आता है। दूसरे को नीचा दिखाकर वे स्वयं को अधिक सक्षम जाहिर करना चाहते हैं, किन्तु इस समय वे यह भूल जाते हैं कि इस प्रकार की हंसी उनके स्वयं के व्यक्तित्व का ग्राफ नीचे गिराती है। असशक्त व्यक्तियों, दुर्बल लाचार, विकलांगों या बीमारों की स्थिति पर हंसना उनकी बददुआ लगने की याद आते ही आत्मग्लानि भी पैदा कर जाता है। साथ ही यह स्वयं ही आपके दुर्बल विचारों को भी दर्शाता है। कभी-कभी किसी पार्टी में यदि कोई व्यक्ति अपने कपड़ों पर चाय-कॉफी गिरा लेता है या कोई अपंग फिसलकर गिर जाता है तब यदि आप हंस पड़ते हैं तब इससे आपके कठोर व निर्दयी हृदय और आपकी मुर्दा इंसानियत का परिचय मिलता है। अतः आप ऐसी स्थिति से बचें।





कुछ लोगों को पर-पीड़न में आनन्द आता है तथा वे इस समय पीड़ित हो रहे व्यक्ति पर हंसकर स्वयं को आनंदित महसूस करते हैं। पर-पीड़ा से आनंदित होने वाला व्यक्ति कभी किसी को मित्र नहीं बना सकता। उसे दूसरों को पीड़ा पहुंचाकर ही आनन्द मिलता है। उसके पास मित्र नहीं आते मित्रता भी नहीं आती बल्कि कूटनीति आती है, और तब सिर्फ कूटनीतिज्ञ. चापलूस या समय का लाभ उठाने वाले अवसरवादी व्यक्ति ही उसे घेरे रहते हैं।





यदि आप दूसरों से मजाक करके हंसते हैं तो स्वयं में भी यह गुण उत्पन्न करिए, अन्यथा दूसरों के मजाक पर क्रोधित हो जाना अव्यावहारिक होगा क्रोध, ईष्या हीन भावना हमारी हंसी को प्रभावित करती हैं तथा इन्हें अपनाकर हम मैत्री खो सकते हैं। यह कहना कि ‘आइए महान अधिकारी जी’ या वो देखो जीनियस जा रहा है हमारे ईर्ष्यालु शरारती स्वभाव का प्रतीक है। ऐसे वाक्यों का उच्चारण करके हंस पहना हमारी भ्रामक अथवा हीन भावना को दर्शाता है। हीनभावना ग्रसित होने पर हम अपने जीवन से हास्य को लगभग समाप्त कर लेते है।





जब तक आप अपना सेंस ऑफ हयूमर विकसित नहीं करेंगे, लोग बाग आपसे दूर रहेंगे तथा आपकी हीन भावना बढ़ती जाएगी। फलस्वरूप आगे चलकर आप शक्की या झक्की कुछ भी बन सकते हैं। मित्र बनने एवं मित्र बनाने का यत्न करें। विनोदप्रिय रहकर आप यह गुण अपना सकते हैं। गांधी जी में विनोदप्रियता का अदभुत गुण था। इस बारे में उन्होंने कहा भी है, यदि में विनोदप्रिय नहीं होता तो कब का आत्महत्या कर चुका होता





हास्य कैसे तलाशें | personality development tips in hindi





हसी एवं मुस्कान सक्रामक है। आप मुस्कुराइए तो दूसरे भी मुस्कुराने लगेंगे। कहा भी गया है,





जो तुम हसोगे तो हसेगी दुनिया, जो तुम रोओगे तो रोएगा कोई ना। जियो और जीने दो’





personality development in hindi :- यह सन्देश तभी आदर्शमय बनेगा जब हम हसने एवं मुस्कुराने का यत्न करें। जीवन में हास्य बिखरा पड़ा है। सिर्फ उसे पहचानने व अपनाने की जरूरत है।





एक व्यक्ति की दुकान पर बम गिर गया और उसकी छत एवं दीवार उड़ गईं। वह व्यक्ति विनोदप्रिय था। बजाए दुखी होने के उसने दुकान पर बोर्ड टांग दिया- अब आपकी सेवा के लिए दुकान 24 घंटे खुली है। कहने का तात्पर्य यह है कि आप कठिन से कठिन स्थिति में भी हास्य तलाश कर समस्या मुक्त बने रह सकते हैं। बड़े व्यक्तियों के जीवन से जुड़ी हास्य घटनाएं यदा-कदा प्रकाशित होती रहती है। इन्हें पढ़िए और गौर करिए कि वे किस प्रकार प्रत्येक स्थिति में विनोदप्रिय बने रहने में सक्षम थे ?





चुटकुले हास्य व्यंग्य की पुस्तकें पढ़ें। व्यंग्यात्मक लेख पढ़ें। यदि पैनी दृष्टि के साथ पैनी कलम भी रखते हैं, तब व्यग्य लिखिए स्वयं के साथ दूसरों को भी प्रसन्न रख सकेंगे। परिस्थितियां हमारी मन स्थिति के अनुकूल बदली जा सकती है और इरादा अटल हो तो परिस्थितियां अनुकूल भी बनायी जा सकती हैं बशर्ते कि, आप जानते हो कि आप क्या हैं क्या नहीं, आप क्या कर रहे हैं, या क्यों कर रहे हैं ? आप किस-किस स्थिति में अप्रसन्न होते हैं, यह सब कुछ इतना जरूरी नहीं है जितनी आपकी सोच महत्वपूर्ण हैं। प्रसन्नचित रहिए, मुस्कराते रहिए हंसते रहिए। आपकी समस्याएं ओस की भाति स्वयं उड़ जाएगी। तब स्वस्थ नगरी के लोगों का ये नारा भी बुलन्द होगा, यानी हंसी हमारे शरीर, मन एवं मस्तिष्क के लिए सबसे बढ़िया उपहार है। बेशक इसमें जरा भी दो राय नहीं कि हम अपनी आज की रफ्तार भरी जिन्दगी में प्रकृति-प्रदत्त इस उपहार का भरपूर उपयोग करें और अपने व्यक्तित्व में चार चांद लगाएं।





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