jagjanani jai jai shri devi ji aarti shri durga saptashati aarti
श्री दुर्गा सप्तशती आरती जगजननी जय जय – माँ जगजननी सारे पापो को हरने वाली है , माता अपने भक्तो के सारे कष्ट दूर करती है ,माता अपने भक्तो के सब संकट हरती है ,एसी माँ जगजननी की हमें पूजा अर्चना और आरती नित्य प्रतिदिन करना चाहिए आइये माँ जगजननी ( श्री दुर्गा सप्तशती आरती ) की आरती करते है
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श्री दुर्गा सप्तशती आरती |
shri durga saptashati aarti
जगजननी जय !जय!! (माँ !जगजननी जय !जय!!)
भयहारिणी, भवतारिणी ,भवभामिनि जय ! जय !! माँ जग जननी जय जय …………
तू ही सत-चित-सुखमय शुद्ध ब्रह्मरूपा ।
सत्य सनातन सुंदर पर – शिव सुर-भूपा ।। माँ जग ………….
आदि अनादि अनामय अविचल अविनाशी ।
अमल अनंत अगोचर अज आनंदराशि।। माँ जग ………….
अविकारी , अघहारी, अकल , कलाधारी ।
कर्ता विधि , भर्ता हरि , हर सँहारकारी ।। माँ जग…………
तू विधिवधू , रमा ,तू उमा , महामाया ।
मूल प्रकृति विद्या तू , तू। जननी ,जाया ।। माँ जग ……….
राम , कृष्ण तू , सीता , व्रजरानी राधा ।
तू वाञ्छाकल्पद्रुम , हारिणी सब बाधा ।। माँ जग……….
दश विद्या , नव दुर्गा , नानाशास्त्रकरा ।
अष्टमात्रका ,योगिनी , नव नव रूप धरा ।। माँ जग ………..
तू परधामनिवासिनि , महाविलासिनी तू ।
तू ही श्मशानविहारिणि , ताण्डवलासिनि तू ।।
माँ जग जननी जय जय …………
सुर – मुनि – मोहिनी सौम्या तू शोभा धारा ।
विवसन विकट -सरूपा , प्रलयमयी धारा ।। माँ जग ………..
तू ही स्नेह – सुधामयि, तू अति गरलमना ।
रत्नविभूषित तू ही , तू ही अस्थि- तना ।।माँ जग ………….
मूलाधारनिवासिनी , इह – पर – सिद्धिप्रदे ।
कालातीता काली , कमला तू वरदे ।। माँ जग ……….
शक्ति शक्तिधर तू ही नित्य अभेदमयी ।
भेदप्रदर्शिनि वाणी विमले ! वेदत्रयी ।। माँ जग ………..
हम अति दीन दुखी मा ! विपत – जाल घेरे ।
हैं कपूत अति कपटी , पर बालक तेरे ।। माँ जग ….…..
निज स्वभाववश जननी ! दयादृष्टि कीजै ।
करुणा कर करुणामयि ! चरण – शरण दीजै ।। माँ जग जननी जय जय , माँ जग जननी जय जय 💐💐💐💐💐
श्री दुर्गा सप्तशती आरती सम्पूर्ण

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