जबलपुर शहर तथा आस पास के शहर के लिए यह बहुत अच्छी खबर है कोरोना वायरस के चलते अभी एक मात्र इस बीमारी से लड़ने का इलाज है plasma therapy भोपाल में सफल परीक्षण के बाद अब jabalpur में भी प्लाज्मा थेरेपी शुरू की गई है . मेडिकल कॉलेज में इस थेरेपी के जरिए मरीजों को ठीक किया जाएगा इसके लिए संभाग कमिश्नर महेश चंद्र चौधरी की मेहनत और कोशिश रंग लाई है.
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल जबलपुर ( Medical College Jabalpur) में जल्दी ही plasma therapy प्रारम्भ होगी। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ प्रदीप कसार ने यह जानकारी देते हुये बताया प्लाजमा थेरेपी अथवा प्लाज्माफेरेसिस ऐसी प्रक्रिया है जिसमें खून के तरल पदार्थ या प्लाज्मा जिसमें एंटीबॉडी शामिल होती है को रक्त कोशिकाओं से अलग किया जाता है इसके लिए डोनर (कोरोना से ठीक हो चुके मरीज) का खून मशीन द्वारा पारित किया जाता है इस प्रक्रिया में कोरोनावायरस से ठीक हुए लोगों के खून प्लाज्मा से बीमार लोगों का इलाज किया जाता है प्रक्रिया के जरिए पीड़ित व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में गुणवत्ता गुणात्मक इजाफा होता है जिससे वह भी कोरोनावायरस के संक्रमड़ को मात देकर स्वस्थ हो सकते हैं
plasma therapy का उपयोग हो चूका है अन्य बीमारियों में
प्लाजमा थेरेपी अन्य शहरों में कोरोनावायरस के गंभीर मरीजों के उपचार में मददगार साबित हो रही है शहर में कोरोनावायरस के बड़ते हुए गंभीर मामलों में मृत्यु दर को देखते हुए यह बहुत आवश्यक है कि प्लाज्मा थेरेपी को ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो इसकी सफलता के लिए जरूरी है कि कोरोनावायरस होकर घर गए मरीज अस्पताल आकर अपना प्लाज्मा डोनेट करें जितने ज्यादा डोनर आते हैं उतना ही चिकित्सकों को गंभीर मरीजों का इलाज करने में सफलता प्राप्त होगी प्लाज्मा डोनेट की प्रक्रिया में 30 से 35 मिनट का समय लगता है एक व्यक्ति 2 हफ्ते में एक बार प्लाज्मा डोनेट कर सकता है डोनेशन विशेषज्ञों की निगरानी में होगा कहा जा सकता है कि अगर जबलपुर में यह प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत हुई तो निश्चित रूप से कोरोना से लड़ने में मददगार साबित होगी
प्लाज्मा में काफी मात्रा में मिलता है प्रोटीन
एल्गिन अस्पताल के पैथालॉजी विशेषज्ञ डॉ. संजय मिश्रा ने कहा कि खून का घटक प्लाज्मा में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। कोरोना की बीमारी से ठीक हो चुके मरीज के रक्त से लिया गया प्लाज्मा बीमार मरीज के उपचार में फायदेमंद हो सकता है। उन्होंने बताया कि बीमारी के संक्रमण के विरोध में मरीज के शरीर का प्रतिरक्षी तंत्र एंटीबाडी का निर्माण करता है जो वायरस से लड़ने में मदद करता है।
बीमारी ठीक हो जाने के बाद भी खून में एंटीबॉडी उपस्थित रहता है जो समान बीमारी से पीड़ित मरीज के रोग उपचार में सहायक होता है। जिन शहरों में कोरोना मरीजों पर plasma therapy का उपयोग किया गया, उनकी कोरोना की रिपोर्ट प्लाज्मा चढ़ाने के बाद 5-6 दिन में ही निगेटिव आ गई। इससे पहले वे कई दिन तक अस्पताल में पड़े रहे और रिपोर्ट पॉजिटिव आती रही। यह देखने में आया है कि प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना के मरीज जल्द स्वस्थ होकर घर लौटे।
plasma थैरेपी के साथ जांच भी करेंगे-डीन
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डीन डॉ. प्रदीप कसार ने कहा कि कोरोना मरीजों पर प्लाज्मा थैरेपी के प्रयोग के साथ सैंपल की भी जांच प्रारंभ की जाएगी। मेडिकल में कोरोना की जांच के लिए लैब का निर्माण जल्द पूर्ण कर लिया जाएगा। शुरुआती दौर में रोजाना करीब 100 सैंपल की जांच की जा सकेगी। प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना से स्वस्थ हो चुके मरीजों के खून से प्लाज्मा लेकर संबंधित ग्रुप वाले अन्य कोरोना मरीजों के उपचार में उपयोग में लाया जाएगा।

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