क्या आपको पता है विधायक जी की सैलरी कितनी होती है ? vidhayak ki salary

आइये जानते है भारत के vidhayak ki salary के बारे में . आप भी हेरान हो जायगे , जानकर कि एक बार आपका भी मन बोल उठेगा ..किस्मत अजमा लेना चाहिए इस क्षेत्र में . आइये जानते है भारत के विधायको के बारे में कि किस राज्य के vidhayak ki salary कितनी होती है ?

भारत में 31 राज्यों (दिल्ली और पुदुचेरी को मिलाकर) में कुल 4120 विधायक हैं. राज्य विधानसभा के लिए चुने जाने वाले विधायकों को प्रत्येक राज्य में हर साल 1 करोड़ रुपये से लेकर 4 करोड़ रुपये तक का विधायक फण्ड दिया जाता है. इस समय तेलंगाना राज्य के विधायक को सबसे अधिक 2.50 लाख रुपये की सैलरी मिलती है.

भारत के विधायक की सैलरी | vidhayak ki salary | mla salary

यह फंड हर राज्य में अलग-अलग होता है जैसे मध्य प्रदेश में एक विधायक को हर साल अपने क्षेत्र का विकास करने के लिए 4 करोड़ रुपये दिए जाते है जबकि कर्नाटक में 2 करोड़ रुपये.क्या आप जानते हैं कि हर विधायक को विधायक फण्ड के अलावा हर महीने एक निश्चित सैलरी मिलती है. यह सैलरी हर राज्य में अलग अलग है. भारत में सबसे अधिक सैलरी 2.5 लाख रुपये प्रति माह तेलंगाना के विधायकों को मिलती है जबकि सबसे कम सैलरी 34000 रुपये त्रिपुरा के विधायकों को मिलती है.

आइये इस लेख में जानते हैं कि भारत के हर राज्य के mla vidhayak को कितनी सैलरी मिलती है.

राज्य विधायक की सैलरी एवं भत्ते
तेलंगाना 2.50 लाख
दिल्ली 2.10 लाख
उत्तर प्रदेश 1.87 लाख
महाराष्ट्र 1.70 लाख
जम्मू & कश्मीर 1.60 लाख
उत्तराखंड 1.60 लाख
पंजाब 1.14 लाख
गोवा 1.17 लाख
राजस्थान 1.25 लाख
हिमाचल प्रदेश 1.25 लाख
हरियाणा 1.15 लाख
झारखण्ड 1.11 लाख
मध्य प्रदेश 1.10 लाख
छत्तीसगढ़ 1.10 लाख
बिहार 1.14 लाख
तमिलनाडु 1.05 लाख
पश्चिम बंगाल 1.13 लाख
कर्नाटक 98 हजार
सिक्किम 86.5 हजार
केरल 70 हजार
गुजरात 65 हजार
ओडिशा 62 हजार
मेघालय 59 हजार
पुदुचेरी 50 हजार
अरुणाचल प्रदेश 49 हजार
मिजोरम 47 हजार
असम 42 हजार
आन्ध्र प्रदेश 1.30 लाख
मणिपुर 37 हजार
नागालैंड 36 हजार
त्रिपुरा 34 हजार

विधायक को सैलरी के अलावा और क्या क्या सुविधाएँ मिलतीं हैं ?

आइये भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक को मिलने वाली सुविधाओं का जायजा लेते हैं.

उत्तर प्रदेश में एक विधायक को विधायक निधि के रूप में 5 साल के अन्दर 7.5 करोड़ रुपये मिलते हैं. इसके अलावा विधायक को वेतन के रूप में 75 हजार रुपया महीना, 24 हजार रुपये डीजल खर्च के लिए, 6000 पर्सनल असिस्टेंट रखने के लिए, मोबाइल खर्च के लिए 6000 रुपये और इलाज खर्च के लिए 6000 रुपये मिलते हैं.सरकारी आवास में रहने, खाने पीने, अपने क्षेत्र में आने-जाने के लिए अलग से खर्च मिलता है. इन सभी को मिलाने पर विधायक को हर माह कुल 1.87 लाख रुपये मिलते हैं.
विधायक को यह अधिकार भी मिला होता है कि वह अपने क्षेत्र में पानी की समस्या के समाधान के लिए 5 साल में 200 हैण्डपम्प भी लगवा सकता है जबकि एक पम्प लगवाने का खर्च लगभग 50 हजार आता है. इसके अलावा विधायक के साथ रेलवे में सफ़र करने पर एक व्यक्ति फ्री में यात्रा कर सकता है.

रिटायरमेंट के बाद क्या फायदे मिलते हैं ?

vidhayak ki salary

कार्यकाल ख़त्म होने के बाद विधायक को हर महीने 30 हजार रुपये पेंशन में रूप में मिलते हैं, 8000 रुपये डीजल खर्च के रूप में मिलने के साथ साथ जीवन भर मुफ्त रेलवे पास और मेडिकल सुविधा का लाभ मिलता है. यानिकी एक लाइन में कहें तो एक बार विधायक बनने के बाद पूरी लाइफ सुरक्षित हो जाती है.
यहाँ पर यह प्रश्न उठ सकता है कि इन राज्यों के विधायकों की सैलरी में इतना अंतर कैसे होता है. दरअसल विधायक को सैलरी सम्बंधित राज्य के खजाने से ही मिलती है. इस कारण जिन राज्यों के पास अधिक धन है वे अपने विधायकों को ज्यादा सैलरी देते हैं. पूर्वोत्तर भारत के सभी राज्यों में विधायकों को सबसे कम सैलरी मिलती है क्योंकि इन राज्यों के पास संसाधन कम मात्रा में हैं.
ज्ञातव्य है कि पिछले 7 सालों में विधायकों की औसत सैलरी में लगभग 125% की वृद्धि हो चुकी है. सैलरी में सबसे अधिक वृद्धि 450% दिल्ली के विधायकों और उसके बाद तेलंगाना के विधायकों की सैलरी में 170% की वृद्धि हुई है.

सांसदों की सैलरी

सांसदों की सैलरी विधायकों की औसत सैलरी की तुलना में 2 गुना ज्यादा है. सांसद को हर माह 2.91 लाख रुपये मिलते हैं इसमें 1.40 लाख रुपये की बेसिक सैलरी और 1.51 लाख रुपये का भत्ता शामिल होता है.
वर्तमान में भारत के राष्ट्रपति को हर महीने 1.50 लाख रुपये, उप-राष्ट्रपति को हर महीने 1.25 लाख रुपये, प्रधानमन्त्री को 1.65 लाख रुपये, राज्यपाल को 1.10 लाख रुपये, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को हर महीने 1.10 लाख रुपये जबकि कैबिनेट सचिव को 2.50 लाख रूपये मिलते हैं.
हालाँकि सरकार जल्दी ही राष्ट्रपति की सैलरी को बढाकर 5 लाख रुपये करने वाली है क्योंकि कैबिनेट सचिव को 2.50 लाख रूपये मिलते जो कि राष्ट्रपति से ज्यादा हैं और राष्ट्रपति के पद की गरिमा के लिए ठीक नही है कि एक कर्मचारी भारत के सबसे बड़े पद पर आसीन व्यक्ति से ज्यादा सैलरी प्राप्त करे.

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