katni collector news :- जिला अस्पताल कटनी में पदस्थ सिविल सर्जन डॉ0 एस0के0 शर्मा 31 मई 2020 को अपनी अर्धवार्षिकी आयु पूर्ण कर सेवानिवृत्त हो गये हैं। अंतिम कार्यदिवस 30 मई को जिला अस्पताल के सादे समारोह में डॉ0 शर्मा की सेवा को स्मरण करते हुये चिकित्सीय स्टाफ और जिला अस्पताल के पैरामेडिकल स्टाफ ने उन्हें भावभीनी विदाई दी।
चिकित्सालय के चिकित्सक, स्टाफ नर्सेस एवं पैरामेडिकल स्टाफ उपस्थित रहे।
सिविलसर्जन डॉ0 शर्मा के विदाई कार्यक्रम में जिला अस्पताल पहुंचे Collector Katni शशिभूषण सिंह ने विश्वव्यापी महामारी कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में उनकी स्वास्थ्य सेवाओं और कर्तव्यनिष्ठा का स्मरण करते हुये डॉ0 शर्मा को कोरोना वॉरियर्स के रुप में शॉल-श्रीफल और प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ0 एस0के0 निगम, प्रभारी सिविल सर्जन डॉ0 यशवंत वर्मा, डॉ0 पी0डी0 सोनी सहित जिला चिकित्सालय के चिकित्सक, स्टाफ नर्सेस एवं पैरामेडिकल स्टाफ उपस्थित रहे।
कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि डॉक्टर और शिक्षक अपने कर्तव्य से जीवन पर्यन्त तक रिटायर नहीं हो सकते। कोरोना संक्रमण काल में डॉ0 शर्मा ने अपने अधीनस्थ अमले के साथ कर्तव्य निष्ठा और समर्पण के साथ स्वास्थ्य सेवायें दी हैं। उसे हमेशा स्मरण किया जायेगा। उन्होने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों के उत्कृष्ट कर्तव्य निर्वहन और निष्पादन का ही परिणाम है कि कटनी जिला अब तक कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त रहा है। एक पॉजीटिव केस मिला है, जो ट्रेवल हिस्ट्री के अनुसार बाहर से आया है। सिविल सर्जन डॉ0 शर्मा, चिकित्सकगण सहित पूरे मेडिकल स्टाफ द्वारा फ्रंटलाईन वॉरियर्स के रुप में दिया गया योगदान प्रशंसनीय है।
कलेक्टर ने कहा कि डॉ0 शर्मा शासकीय सेवा से रिटायर हुये हैं, कर्तव्य से नहीं। कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है। चुनौतीपूर्ण स्थितियों में जब भी जनसेवा के लिये उनकी आवश्यकता होगी, उनका सहयोग मिलता रहेगा। कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि सीमित संसाधनों में भी डॉ0 शर्मा के नेतृत्व में स्वास्थ्य अमले की कर्तव्य परायणता ने अमले और संसाधनों की कमी परिलक्षित नहीं होने दी।
सिविल सर्जन डॉ0 शर्मा ने जिला चिकित्सालय कटनी में ढाई साल के कार्यकाल में दिये गये वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन और अधीनस्थ स्टाफ के सहयोग के लिये आभार व्यक्त किया। इस मौके पर जिला अस्पताल के सहायक ग्रेड-2 बलराम तिवारी के सेवानिवृत्त होने पर उन्हें भी शॉल-श्रीफल से सम्मानित किया गया।