मण्डला शहर में पूजन,हवन,आरती,मन्त्र पुष्पांजली,विसर्जन के इस क्रम में श्री गणेश जी को अत्यंत ही भावुक विदाई दी गई , यूँ तो 2 दिन विदाई के रखे गए लेकिन शहर के कुछ ऐसे भक्तों थे जो चाहते थे कि उनके बप्पा 1सितम्बर के दिन और उनके साथ रहें।

इसी बीच srd news की टीम- किले वार्ड से , अम्बेडकर चोंक,सहित नेहरू स्मारक,सरदार पटैल वार्ड में प्रवेशित हुई,जहां गजानन के भक्तों को अपने गजानन को विसर्जन के लिए ,ले जाते हुए देखा गया।
कल सरदार पटेल वार्ड के श्री जाट परिवार,श्री श्रीवास परिवार जी के वाद, आज श्री रजक परिवार ,श्री साहू परिवार ने विसर्जन हेतु तैयारियां की,अलग अलग समय में अपने गजानन को विसर्जन हेतू ले जाया जा रहा है।

विद्वानों के अनुसार
विसर्जन क्या होता है इस प्रश्न के पूंछने पर
योग सम्राट आचार्य महेंन्द्र मिश्र जी कहते हैं कि विसर्जन शब्द संस्कृत भाषा का शब्द है उसका अर्थ है विलीन होना। घर में किसी मूर्ति की पूजा करते हैं, तो उसके बाद विसर्जित कर उसे सम्मान दिया जाता है। – श्री गणेश जी का विसर्जन यह प्रस्तूत करता है कि श्री गणेश जी की मूर्ति मिट्टी से जन्मी है,और बाद में मिट्टी में ही मिलती है।इसी प्रकार हमारा शरीर भी है।
और आगे वे कहते हैं कि यह 10 दिवसीय प्रयोग संकेत करता है कि जीवन मे श्रेष्ठ विधियों (ध्यान की गहराई ,जप की गहराई,अनुष्ठान,कीर्तन में डूब कर,नाच कर,भजन कर,इत्यादि)का उपयोग कर,अंत में सभी विधि और विधान को छोड़कर जीवन को परमात्म तत्व में विलीन करना आवश्यक है।
srd न्यूज़ की टीम की पहल कैसे किया लोगों ने अपने गजानन का विसर्जन के तहत, आज मंडला शहर की गली चौराहों में गणपति बप्पा मोरिया अगले बरष तू जल्दी आ, के उद्घोष सुने गए,
मण्डला के हर गली ,हर चौराहे पर,वार्ड – वार्ड पर srd की टीम उपस्थित रही जिसमे लोगों ने आज गजानन को अपने -अपने घर से अश्रुपूर्ण होकर विदाई दी जैसे मानो उनका कोई घर का सदस्य कहीं दूर जा रहा है, और वापस एक साल बाद आएगा ।
Srd news ने मण्डला घाट – घाट में प्रशासन की व्यवस्था का लिया जायजा

मंडला शहर स्थित महाराजपुर में जब srd news का समूह पहुंचा तो वहां पर प्रशासन ने पर्याप्त इंतजाम कर रखे हैं । जिसमें उन्होंने हर वार्ड के हिसाब से पूर्ण सुविधा युक्त ट्रैक्टर सहित अन्य वाहन उपलब्ध कराये, जिससे इसमें ही गजानन को लोग विसर्जित करें , उसकी व्यवस्था रखी है ।इसके साथ-साथ प्रशासन टेंट, पंडाल, में रहकर लोगों को विभिन्न-विभिन्न सूचना प्रसारित उपकरण के द्वारा समझाइश करते जा रहा है कि नदी में श्री गणेश जी की मूर्ति लेकर सामूहिक रूप से ना जाएँ, अपने गजानन को ट्रैक्टर पर ही विसर्जन करें कुरोना काल के चलते प्रशासन की यह व्यवस्था सराहनीय रही।। रपटा घाट,मिश्रा घाट,जेल घाट और भी भिन्न-भिन्न घाट प्रशासन ने इस पूरी व्यवस्था को पूर्ण रूप से व्यवस्थित तैयारी कर रखी है और लोगों की भावनाओं का भी विशेष ध्यान रखा गया है।

घाटों पर प्रतिमाओं का विसर्जन प्रतिबंधित है..

शासन के निर्देशानुसार घाटों पर प्रतिमाओं का विसर्जन प्रतिबंधित है। प्रशासन द्वारा घर-घर वाहन भेजकर विसर्जन हेतु प्रतिमाओं का एकत्रीकरण कर उनका विधि-विधान से विसर्जन किया जा रहा है। Collector mandla हर्षिका सिंह ने जिले वासियों से इस व्यवस्था में सहभागी बनने की अपील की है। घाट-घाट पर पोस्टर चिपके देखे गए ,जिसमे विसर्जन प्रतिबंधित करने के निर्देश दिए गए,और सुविधा पूर्ण मण्डबला प्रशासन के द्वारा की गई व्यवस्था में ट्रैक्टर ,सहित अन्य वाहनों में अपने गजानन को विसर्जन करने के लिए हर वार्ड में 1-1वाहन की व्यवस्था कराई जा रही है।
गणेश प्रतिमा विसर्जन के लिए प्रशासन द्वारा घर-घर दस्तक देते हुए शासकीय वाहनों में मूर्तियां एकत्रित की जाकर उनका विधिविधान से विसर्जन किया जा रहा है। कलेक्टर हर्षिका सिंह ने कहा है कि गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन यथासंभव अपने घरों में ही करें, जो व्यक्ति अपने घरों में विसर्जन करना नहीं चाहते वे प्रशासन द्वारा बनाई गई व्यवस्था के तहत विसर्जन करना सुनिश्चित करें। कलेक्टर ने कोरोना संक्रमण से बचने मॉस्क लगाने, सोशल डिस्टेसिंग का पालन करने तथा भीड़ वाले स्थानों में न जाने की अपील की है।
कहीं कहीं प्रशासन अत्यंत ही सुस्त दिखा
Mandla ki taja khbr Collector मण्डला के निर्देशन के बाद भी गयउ घाट में प्रशासन बिल्कुल ही सुस्त दिखा,और शहर के नामचीन घाटो के अलावा बहुत से घाट में प्रतिबन्ध हटा दिया गया,या लगाया ही नहीं गया। जिसका ब्यौरा प्रशासन ने भी लेना पसंद नही किया। जब भी योजना पूरी तरह पालन में न आए तो उस योजना की खामी को ध्यान में रख तुरंत सुधारा जाना आवश्यक है।लेकिन प्रशासन ने खबर लेना भी पसंद नहीं किया

कहीं-कहीं मण्डला प्रशासन इतना वेखबर दिखा की लोगों द्वारा विसर्जन हेतु ट्रेक्टर के आने का इंतजार कर- कर के थक गए और अन्तोगत्वा भक्तों ने अपने गजानन को स्वयं से ही विसर्जित करने गए।