Wednesday, June 7, 2023

आईटीबीपी ने हाल ही में जन्मे 17 श्वानों को क्या नाम दिया ? itbP dog name

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आईटीबीपी (ITBP) ने हाल ही में जन्मे 17 श्वानों को भारतीय नाम दिए है। यह नाम (itbp dog name) एग्जाम की दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकते है आइये जानते है itbp dog name





आईटीबीपी – itbp 17 Dog name





पुरातन परंपरा पर आधारित होने वाले पाश्चात्य नामों को दरकिनार करते हुए भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने पहली बार किसी भी सशस्त्र बल में अपने पप्स को देसी नाम देने का प्रचलन प्रारंभ कर दिया है. आईटीबीपी के सुप्रसिद्ध के-9 विंग के इन श्वानों को आईटीबीपी ने एक नामकरण समारोह में नामित करके इन नामों को देश की सुरक्षा में लगे जवानों को समर्पित किया है, जो बहुत मुश्किल परिस्थितियों में देश की सुरक्षा कर रहे हैं.





नेशनल ट्रेनिंग सेंटर फॉर डॉग्स (NTCD) ITBP Btc भानु पंचकुला, हरियाणा में एक औपचारिक नामकरण समारोह आयोजित किया गया, जहां बल ने अपने लगभग 2 महीने पूर्व जन्मे योद्धा मैलिनोईस श्वानों  के नाम रखे. इन 17 श्वानों, जिनके पिता का नाम गाला और माताओं का नाम ओलगा और ओलिशिया हैं, उनके नए नाम है itbp dog name – आने-ला, गलवान, ससोमा, सिरिजाप, चिप चाप, सासेर, चार्डिंग, रेजांग, दौलत, सुल्तान-चुस्कू, इमिस, रांगो, युला, मुखपरी, चुंग थुंग, खार्दुंगी और श्योक.





इन के-9 योद्धाओं को 100% स्थानीय नाम दिए गए हैं, जहां आईटीबीपी सीमाओं पर ड्यूटी करती है और स्वतंत्रता के बाद पहली बार अब आईटीबीपी में केनाइन विंग के श्वानों को देसी विरासत और नामों से जाना जाएगा. इस पहल के साथ ही श्वानों के जो परंपरागत पाश्चात्य नाम जैसे सीजर, ओलगा, एलिजाबेथ, बेट्टी, लीजा आदि होते थे, अब उनके स्थान पर आईटीबीपी के डॉग हैंडलर गर्व से अपने श्वानों को उन नाम से पुकारेंगे जहां भारत तिब्बत सीमा पर आइटीबीपी की तैनाती होती है, और बहुत ही कठिन परिस्थितियों में बल के हिमवीर अपनी ड्यूटी करते हैं.





अब बल ने यह भी योजना बनाई है कि अब से नवजात श्वानों का भी इसी प्रकार सीमा पर स्थित इलाकों के नामों पर नामकरण किया जाएगा और काराकोरम पास से जचेप ला तक 3488 किलोमीटर लंबी भारत चीन सीमा पर अवस्थित प्रसिद्ध स्थानों के नामों पर श्वानों को नामित किया जाएगा.





नक्सल रोधी अभियानों में आईटीबीपी ने पहली बार एक दशक पूर्व मैलिनोईस श्वानों को तैनात किया था और अब सुरक्षाबलों में इन श्वानों की बढ़ती मांग को देखते हुए आईटीबीपी ने इन श्वानों की वैज्ञानिक पद्धति से ब्रीडिंग भी प्रारंभ कर दी है. कई अन्य सुरक्षाबलों ने आईटीबीपी से इन श्वानों की उपलब्धता के लिए अनुरोध किया है.





1962 में भारत चीन सीमा संघर्ष के दौरान गठित आईटीबीपी में फिलहाल लगभग 90,000 जवान हैं, सीमा सुरक्षा के अलावा आईटीबीपी कई अन्य सुरक्षा कर्तव्यों में तैनात हैं.


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